पृष्ठ:बिहारी-सतसई.djvu/११९

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सटीक : बेनीपुरी
 

अन्वय—लरिका लैबै कैं मिसनु लंगर मो ढिग आइ। छैलु छाती अचानक आँगुरी छुवाइ गयौ।

मिसनु=बहाने से। लंगर=ढीठ। ढिग=निकट। अचानक=अकस्मात्। छाती=स्तन। छैलु=रंगरसिया नायक।

(मेरी गोद के) बच्चे को लेने के बहाने वह ढीठ मेरे निकट आया (और बच्चे को लेते समय) वह छबीला मेरी छाती में अकस्मात् अँगुली छुला गया।

नोट—इस दोहे में बिहारी में प्रेमी और प्रेमिका के हार्दिक भावों की तस्वीर-सी खींच दी है। विदग्ध रसिक ही इस दोहे के मर्म को समझ सकते हैं।

ड्गकु डगति-सी चलि ठठुकि चितई चली सँभारि।
लिये जाति चितु चोरटी वहै गोरटी नारि॥२५०॥

अन्वय—डगकु डगति-सी चलि ठठुकि चितई सँभारि चली वहै चोरटी गोरटी नारि चित लिये जाति।

डगकु=डग एक=एक डेग। डगति-सी=डगती हुई-सी, डगमगाती हुई-सी। चितई=देखकर। चोरटी=चोट्टी, चुरानेवाली। गोरटी=गोरी।

एक डंग डगमगाती हुई-सी चलकर ठिठक गई—ठिठककर खड़ी हो गई। (फिर मुझे) देख अपनेको सँभालकर चलती बनी। वहाँ चोट्टी गोरी स्त्री (अपने इन प्रेमपूर्ण भावों को दिखाकर) चित्त (चुराये) लिये जाती है।

चिलक चिकनई चटक सौं लफति सटक लौं आइ।
नारि सलोनी साँवरी नागिन लौं डँसि जाइ॥२५१॥

अन्वय—चिलक चिकनई चटक सौं सटक लौं लफति आइ। साँवरी सलोनी नारि नागिन लौं डँसि जाइ।

चिलक=चमक। चिकनई=चिकनाहट। चटक=चटकीलापन। सौ=सहित। सटक= बेंत वा बाँस की मुलायम छड़ी। सलोनी=लावण्ययुक्त। लौं=समान।

चमचमाहट, चिकनाहट और चटकीलेपन सहित बेंत की बड़ी-सी लचकती हुई (मेरे पास) आकर वह साँवले शरीर वाली लावण्यवती नायिका (मुझे) नागिन के समान उँस जाती है।