पृष्ठ:बिहारी-सतसई.djvu/११९

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९९ सटीक : बेनीपुरी अन्वय-लरिका लैबै के मिसनु लंगर मो ढिग आइ । छैलु छाती अचानक आँगुरी छुवाइ गयो मिसनु बहाने से । लंगर = ढीठ। ढिग = निकट । अचानक = अकस्मात् । छाती = स्तन । छैलु = रंगरसिया नायक । ( मेरी गोद के ) वच्चे को लेने के बहाने वह ढीठ मेरे निकट आया (और बच्चे को लेते समय ) वह छबीला मेरी छाती में अकस्मात् अँगुली छुला गया । नोट-इस दोहे में विहारी मे प्रेमी और प्रेमिका के हार्दिक भावों की तस्वीर-सी खींच दी है। विदग्ध रसिक ही इस दोहे के मर्म को समझ सकते हैं। ड्गकु डगति-सी चलि ठठुकि चितई चली सँभारि । लिये जाति चितु चोरटो वहै गोरटी नारि ।। २५० ।। अन्वय-डगकु डगति-सी चलि ठठुकि चितई सँमारि चली वहै चोरटी गोरटी नारि चित लिये जाति । डगकु = डग एक = एक डेग । डगति-सी = डगती हुई-सी, डगमगाती हुई-सी। चितई = देखकर । चोरटी = चाट्टी, चुरानेवाली । गोरयो = गोरी। एक डंग डगमगाती हुई-सी चलकर ठिठक गई-ठिठककर खड़ी हो गई । (फिर मुझे ) देख अपनेको सँमालकर चलती बनी । वही चोट्टी गोरी स्त्री (अपने इन प्रेमपूर्ण भावों को दिखाकर ) चित्त ( चुराये ) लिये जाती है । चिलक चिकनई चटक सौं लफति सटक लौं आइ । नारि सलोनी साँवरी नागिन लौं ढुसि जाइ ।। २५१ ।। अन्वय-चिलक चिकनई चटक सौं सटक लौ लफति पाइ। साँवरी सलोनी नारि नागिन लों डांस जाइ । चिलक = चमक । चिकनई = चिकनाहट । चटकीलापन । सौ = सहित । सटक = ३त वा बाँस की मुलायम छड़ी। सलोनी = लावण्ययुक्त । लौ = समान । चमचमाहट, चिकनाहट और चटकीलेपन सहित बत की बड़ी-सी लचकती हुई ( मेरे पास ) आकर वह साँवले शरीर वालो लावण्यवती नायिका (मुझे) नागिन के समान उँस जाती है। चटक-