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बिहारीसमई जान्वर-लह कोड़-रमा कर-पनी जोर जन सिरके, बिर तिय ये नाह% नाय बांटन। बोड़ा को एक बार जल में दबकर निमारी को ब्द जल को घर उडालना। रोचन गेलो । किन = दूसनी । दिप = स्त्री। मंटन ने उस समयूरती को ख में हाथ की पिचकी के जोर से जल उडकः । (बह देखकर दुसरीको (कैट)को आँखों में कोर में रोजी के वराय पिय दंच ही कर खरोरस-३६८॥ = अन्तराटेकर कड़ी। करी ) देखते ही (प्रेम में देर वह सुन्दरी नायिक)- मी के मो-जैसे व अन्न आकाश नीचे गिर नई: (रितु उसे देन) अंत कर लिय (मंद बन्द गर-दी-र ) पड़ नामक ने बंद हो चोकर ऑयानक दुदहाच्या! बरई दूनी हटि बड़े ना सकुचे न सकाइ । दूटर कट हुन नत्रक चकि सरि बच जाइ॥३६॥ अन्वय-बाउँ दूनी ही बढेन मनसा दुई अटि नटल लक करके जाई