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दुर्लभ दोहे
 

बिहारी के सोलह दुर्लभ दोहे

बकी-बिदारन बक-दवन बनमाली जितबान।
दामोदर देवकि-तनज दुर्जन दयानिधान ॥१॥
संकट-सघारन अघ-हरन करना-घन घन-स्याम।
कुबिजा-कामुक दौ-दवन बहुमाइक बहुनाम ॥२॥
विष्टि-निवारन विष्टिवर बमुह बिभूषन बीर।
गीता-नगाइक गरुड़धुज गोबिंद गुन-गम्भीर ॥३॥
मुष्टिक-मारन मधु-मथन मथुरानाथ मुकुन्द।
तरतारक त्रैताप हरि हरि तारक मचकुन्द ॥४॥
कंस-निखूँदन कंसहर काली-मरदन काल।
गोपी-बल्लभ गिरि-धरन गज-गंजन गोपाल ॥५॥
दोवे चीरद चीर-हर चतुरभुज माखन-चोर।
रास-रसिक सत्या-सुखद सुन्दर नन्दकिसोर ॥६॥
त्रय-भंजन भव-भार-हर भगतनि-प्रिय भगवान।
कमल-नयन कमला-रवन केसव कि हम कल्यान ॥७॥
नारायन नट-वेष-धर नागर-वर नरकारि।
ब्रज-भूषन राधा-रवन मुरली-धरन मुरारि ॥८॥
मनु मान्यो कते मुनिन मनु न मनायो आइ।
ता मोहन पै राधिका झगरि झँवावति पाँइ ॥९॥
जागि न पायो ब्रह्महू जोग न पायो ईस।
ता मोहन पै राधिका सुमन गुहावति सीस ॥१०॥