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बिहारी-सतसई
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दुलहिया=दुलहिन। जोबन=जवानी। बदन=मुख।

दुलहिन की देह में ज्यों-ज्यों जवानी की ज्योति बढ़ती है क्यों-त्यों (उसे) देखकर सभी सौतिनों के मुख की द्युति मलिन होती जाती है ।

नोट—सौतिनों का मुख मलिन इसलिए होता जाता है कि अब नायक उसीपर मुग्ध रहेगा, हमें पूछेगा भी नहीं।

नव नागरि तन मुलुक लहि जोबन आमिर जोर ।
घटि बढ़ि तैं बढ़ि घटि रकम करी और की और॥३१॥

अन्वय—नागरि-तन नव-मुलुक लहि जोबन जोर आमिर, बढ़ि तें घटि घटि बढि रकम और को और करीं।

आमिर=हाकिम, शासक। जोर-जबरदस्त। रकम=जमाबन्दी।

नागरी (नायिका) के शरीररूपी नवीन देश को पाकर यौवन रूपी जबरदस्त हाकिम ने (कहीं) बढ़ती को घटाकर और (कहीं) घटी को बढ़ा-कर जमाबन्दी और की और ही कर दी—कुछ-का-कुछ बना दिया ।

नोट—भावार्थ यह है कि किसी अंग को घटा दिया-जैसे, कटि आदि-और किसी अंग को बढ़ा दिया जैसे, कुच आदि । जब कोई राजा नया देश प्राप्त करता है, तब वह उलट-फेर करता ही है ।

लहलहाति तन-तरुनई लचि लगि-लौं लफि जाइ ।
लगे लाँक लोइन भरी लोइनु लेति लगाइ॥३२॥

अन्वय—तन-तरुनई लहलहाति, लगि-लौं लचि लफि जाइ, लाँक लोइन भरी लगे लोइनु लगाइ लेति॥३२॥

लचि=लचककर। लगि=लग्गी, बाँस की पतली शाखा। लौं=समान। लफि जाय=मुक जाती है। लाँक (लंक)=कमर। लोइन=लावण्य, सुन्दरता। लोइनुलोचन, आँख।

शरीर में जवानी उमड़ रही है (जिसके बोझ से वह) नायिका बाँस की पतली छड़ी-सी लचककर झुक जाती है । उसकी कमर लावण्य से भरी हुई दीखती है और (देखनेवालों की) आँखों को (बरबस) अपनी ओर खींच देती है।