पृष्ठ:बिहारी-सतसई.djvu/३६

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बिहारी-सतसई १४ दुलहिया = दुलहिन । जोबन - जवानी । बदन = मुख । दुलहिन की देह में ज्यों-ज्यों जवानी की ज्योति बढ़ती है क्यों-त्यों ( उसे) देखकर सभी सौतिनों के मुख की द्युति मलिन होती जाती है । नोट -सौतिनों का मुख मलिन इसलिए होता जाता है कि अब नायक "" उसीपर मुग्ध रहेगा, हमें पूछेगा भी नहीं। नव नागरि तन मुलुक लहि जोबन आमिर जोर । घटि बढ़ि बढ़ि घटि रकम करी और की और ॥ ३१॥ अन्वय-नागरि-तन नव-मुलुक लहि जोबन जोर आमिर, बढ़ि तें घटि घटि बढि रकम और को और करीं । आमिर = हाकिम, शासक । जोर-जबरदस्त । रकम = जमाबन्दी । नागरी (नायिका) के शरीररूपी नवीन देश को पाकर यौवन रूपी जबरदस्त हाकिम ने (कहीं) बढ़ती को घटाकर और (कहीं) घटी को बढ़ा- कर जमाबन्दी और की और ही कर दी-कुछ-का-कुछ बना दिया । नोट-भावार्थ यह है कि किसी अंग को घटा दिया-जैसे, कटि आदि-और किसी अंग को बढ़ा दिया जैसे, कुच आदि । जब कोई राजा नया देश प्राप्त करता है, तब वह उलट-फेर करता ही है। लहलहाति तन-तरुनई लचि लगि-लौं लफि जाइ । लगे लॉक लोइन भरो लोइनु लेति लगाइ ॥३२॥ अन्वय-तन-तरुनई लहलहाति, लगि-लौं लचि लफि जाइ, लाँक लोइन मरी लगे लोइनु लगाइ लेति ॥ ३२ ॥ लचिलचककर । लगि=लग्गी, बाँस की पतली शाखा । लौं =समान । लफि जाय=मुक जाती है । लाँक (लंक) = कमर । लोइन = लावण्य, सुन्दरता । लोइनुलोचन, आँख शरीर में जवानी उमड़ रही है (जिसके बोझ से वह) नायिका बाँस की पतली छड़ी-सी लचककर झुक जाती है। उसकी कमर लावण्य से भरी हुई दीखती है और (देखनेवालों की) आँखों को (बरबस ) अपनी ओर खींच देती है।