सम्पादकीय निवेदन |
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सतसई का सौन्दर्य्य |
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[प्रथम शतक १–४०]
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वर्णन |
दोहा-संख्या
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मंगलाचरण |
१–२३
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वयः-संधि |
२४–२७
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यौवन |
२८–३२
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केश |
३३–३६
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अलक |
३७
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चोटी |
३८
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माँग-टीका |
३९
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बेंदी |
४०–४६
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भौंह |
४७–४९
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नयन |
५०–५७
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बैन-सैन |
५८–७२
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नेत्र पर उक्तियाँ |
७३– ८४
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नासिका |
८५–९०
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कपोल |
९१
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श्रवण |
९२
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अधर |
९३
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चिबुक (ठुड्डी) |
९४–९७
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काजर-बेंदी (डिठौना) |
९८–९९
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मेहँदी |
१००
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[द्वितीय शतक ४१-७९]
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सुख |
१०१–१०२
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हास्य |
१०३
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स्तन |
१०४
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कटि |
१०५–१०६
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जंघा |
१०७
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मोरवा (एँड़ी से ऊपर) |
१०८
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एँड़ी |
१०९–११०
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पायल (नूपुर) |
१११
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अनवट (पादांगुष्ठ-भूषण) |
११२
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पद-तल |
११३
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कंचुकी |
११४–११५
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भूषण |
११६–११७
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चुनरी-साड़ी |
११८–११९
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कर्णफूल |
१२०
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झीनी रेशमी साड़ी |
१२१
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खुमी (कान की लौंग) |
१२२
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तरौना, बेसर |
१२३
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मुख-छवि |
१२४
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अँगूठीयुत अँगुली |
१२५
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तरिवन (कान की तरकी) |
१२६
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नैन-शिकारी सौन्दर्य्य |
१२७
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सौन्दर्य्य |
१२८
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गुंजा-हार |
१२९
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मणिमाला |
१३०
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साड़ी की जरी-किनारी |
१३१
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गोराई |
१३२
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