रति-मर्दित वस्त्र |
१३३
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पँचरंग बेंदी और चुनरी |
१३४
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स्वाभाविक शृंगार |
१३५
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अंग-द्युति |
१३६–१४०
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शरीर की सुगंध |
१४१
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नायक का लावण्य |
१४२
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अंग–सौष्ठव |
१४३
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मौलिश्री-माला |
१४४
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अंग-कान्ति |
१४५–१५५
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सुकुमारता |
१५६–१६०
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तलहथी |
१६१
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रूप-गरिमा |
१६२–१६६
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हाव |
१६७–१६९
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स्वेद |
१७०
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स्वकीया |
१७१–१७२
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नवोढ़ा |
१७३
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-नवोढ़ा |
१७४
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परकीया |
१७५–१७६
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अनुराग |
१७७–१८०
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दर्शन |
१८१
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प्रेम-रंग, प्रेमाग्नि |
१८३–१८४
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नेत्रमिलन |
१८५
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मिलन-महिमा |
१८६
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दर्शनोत्कण्ठा |
१८७–२००
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[तृतीय शतक ८०-११९]
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प्रेम-विह्वला |
२०१–२१०
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स्वप्न-दर्शन |
२११–२१२
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गुड्डी |
२१३
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प्रेम की दृढ़ता |
२१४–२१७
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प्रेमानुभव |
२१८–२२७
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प्रेम की पीड़ा |
२२८–२३५
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प्रेमानन्द, प्रेमालाप |
२३६–२३७
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प्रेम की विवशता |
२३८–२४८
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प्रेमपूर्ण छल |
२४९
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चितचोरी |
२५०
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नायिका-नागिन |
२५१
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चतुराई |
२५२
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प्रेम-सूचक चेष्टा |
२५३–२५६
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नायिका-रूपी रात्रि |
२५७
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प्रेमोत्पादक प्रशंसा |
२५८–२६५
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सखी की शिक्षाएँ |
२६६–२७५
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विरह-निवेदन |
२७६–२७९
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उलाहना |
२८०
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प्रेमो जन |
२८१–२८६
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संघट्टन-युक्ति |
२८७–२८८
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मुखचंद्र-प्रशंसा |
२८९–२९०
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संघट्टन-युक्ति |
२९१–२९२
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प्रेम-पुलक |
२९३
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फुटकर |
२९४
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नायक का एकान्त प्रेम |
२९५
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तन्मयता |
२९६
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प्रेम-स्तम्भिता |
२९७–२९९
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सीत्कार |
३००
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