पृष्ठ:बिहारी बिहार.pdf/१३१

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|: विहारीबिहार। । न वैना ॥ तिया मुदित तिहिँ ग्वारि निकट जउ चहत छिपायो। सुकवि तऊ विहँसावत तिहिँ मुद बाहर आयो ॥ १६६ ॥ अहै कहै न कहा कह्यो तो स नन्दकिसोर। | बड़बोली कत होति है बड़े दृगनि जोर ।। १५० ॥

  • वड़े दृगन के जोर बड़ी बड़ि बात बनावति । ऍठि ऍठि कै चलति झमार्क

भैहँ सतरावति ॥ तनि तनि कै पुनि तान रही है तिरछे नैना । सुकवि कान्ह तोहि कहा कह्यो कछु अहै कहै ना ।। १६७ ॥ पुनः । बड़े दृगन के जोर बड़प्पन कितो बढ़े है । भौंह जुगल सतराइ किते पुनि ताने कैहै ॥ कहा परेखो बात बताइ कहूं तो मो सौं । सुकाब सँवरे अहै। में कहै न कहा कह्यो तो सौ ॥ १८ ॥ जदपि तेजरो हाल वर लगी न पलको बार। तउ वड़ो घर को भयो पैड़ो कोस हजार ॥ १५१ ॥ पैड़ो कोस हजार भयो यह गाँव गली को । चलत चलत जनु उतर गयो मुख इते बली को ॥ भजि सेद साँ आपु कियो बाजी तरबतरो। सुकाव कलए पल भई हतो यह जदपि तेजरो ॥ १६.६ ॥ . | नभ लाली चाली निसा चटकाली धुनि कीन । | रति पाली आली अनत आये बनमाली न ॥ १५२॥ आये वनमाली नहिँ टोली अवधि कुचालीं । लंगी पिकाली काली कुजन

  • डाली डाली । कोउ ग्वाली की प्रीति सम्हाली स्याम रसाली । सुकवि

रिजाली दई वहाली भई नभ लाली ॥ २०० ॥ .. ..... ...