पृष्ठ:बिहारी बिहार.pdf/१५५

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बिहारीविहारः।।

  • झपकि झपटावति सारी ॥ झन झन झमकति झनकावति. झब्बावसकर

से । सुकवि भौंहधनु तानि लाइ गई नावंक सर से ॥२६० . . . . . . सुनि पगधुनि चितई इतै न्हात दिये ही पीठि ।।... चकी झुकी सकुची डरी हँसी लजीली दीठि ॥ २३९ ॥ हँसी लजीली डीठ निरखि चटपट मुख मोरयो । ओदे पट तन ढाँपि फुरहरी लै चित चोरथो । ग्रीवा कछुक झुकाई नेह साँ लखन लगी पुनि । सुकवि हियो बस कियो तिया पिय की सुनि पगधुनि ॥ २६१ ॥ ......* सहित सनेह सकोच सुख स्वेद कंप मुसकानि । प्रान पानि कुरि आपने पान दिये मो. पानि ॥ २४०..।। पान दिये मोपानि प्रान कर लै छन माहीं । अधरसुधा बिनु पान प्रान चहुँरै वे नाहीं ॥ जादू सो करि गई कहा धौं मन्द मन्द कहि ।' चन्दमुखी बिनु सुकबि ताप अव जात नाहिँ सहि ॥ २२ ॥ रही दहँड़ी ढिग धरी भरी मथानियाँ बारि। कर फेराति उलटी रई नई बिलोअनहारि ॥ २४१ ॥ | नई विलोअनहारि हारि गई छंन हीं माहीं । भई रोमञ्चित अङ्ग अङ्ग पुनिकम्प सोहाहीं ॥ सेदभरी तकि बात कहत है ऍड़ीबड़ी । सुकबि बारि मथि दियो धरी ही रही हैंडी ॥ २६३ ॥,,....... बेसरमोतीदुतिझलक परी ओठ पर आय। चूनो होइ न चतुर तिय क्याँ पट प्रॉछो जाय ।। २४२॥ क्यौंपट पोंछोजाय सुकवि नाहिन यह चुनो। पीक कपोलन नाँहि चुनी चमका दातदुनो ॥ सेद नाँहि यह केसकुसुम की मरन्दझर । 'सॉस भर- त क्यों अली करत, है मैलो बेसर,॥ २९४ ॥..... ... ::.,.,... • अधरसुधा के पियेविना ::...; :: :::::::::::::::::