पृष्ठ:बिहारी बिहार.pdf/१७

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कीर्तिभूमितले निधाय महतौमर्दासनस्यईया, सत्राम: स जगाम धाम विजयी श्रीमानसिंहो कृपः ॥” । श्रीयुत जी, ए, ग्रेयर्सन् साहब बहादुर ने लिखा है कि ये ही इिज मन्नालाल थे परन्तु यह उने में हिज नाम पर भ्रम हुआ है । सन्नालालजी तो जयपुर प्रान्त के रहने वाले गौड़ थ काशी में रहते थे।

  • मेरे पज्य पिता के शिष्य और मेरे मामा थे । तथा महाराज तो शाकद्दीयौ ब्राह्मण और जगद्दिदित

अयोध्यानरेश थे । | विविध विरुदावली विराजमान वर्तमान महाराजाधिराज श्रीप्रतापनारायणसिंह, ६ बरबर इन महाराज मानसिंह के नाती हैं । इनके बनवाये अनेक राजभवनों से श्रीअयोध्या भूषित है । और शृङ्गारबन चन्द्रभवन अदि अनेक दर्शनीय स्थान बने है । प्रति विजयादशमी पर श्रीमन्महाराज की > यहां दूर दूर के गुणी पण्डित कविजन एकत्रित होते हैं और सबका यथोचित सम्मान होता है। श्री- महाराज कविता के ऐसे रसिक हैं कि उत्तम उत्तम कविताओं का संग्रह कर महाराज ने ‘‘रसके । सुमाकर” नामक ग्रन्थ छपवाया है और इसमें समस्त रस तथा हाव भाव के सम्बन्ध में उत्तमोत्तम चित्र दिये गये हैं यहां तक कि इस शृङ्खला का. लक्ष्य लक्षण तथा चित्र सहित अपूर्व ग्रन्थ आज तक देखने में नहीं आया ॥ गजदान अखदान भूमिदान आदि पौराणिक दानों में कोई बचा न होगा, । महाराज सभी दान करते रहते हैं और तिसपर भी सादे स्वभाव से सब से मिलते हैं ॥ गवर्मेण्ट भी योमहाराज का बार बार पदवीदान और विविध सम्मान से सदा आदर करतौ हौ रहती हैं। श्रीमान् । अँगरेजी फारसी के पूर्ण अभिज्ञ हैं और संस्कृत के रसिक हैं तथा आस्तिकता के अवतार हैं । इस समय श्री महाराज इम्पीरियल लेजिस्न्नेटिव काउन्सिल के मेम्बर हैं, रायल एशियाटिक सो: । सायटी के मेम्बर हैं, तअल्लुकेदारों की ब्रिटिश इण्डियन असोसियेशन के सद के लिये सभापति हैं । । और के, सी, आई, ई० आदि अनेकानेक पदों से भूषित हैं । श्रीमान् की सभा में किसी गुण का

  • भौ भजन पहुंचे अवश्य ही उसका गुणग्रहण कर प्रतिष्ठा दी जाती है ॥

श्रीमान् के चरित के विषय में अलग ग्रन्थ हो सकता है इस कारण यहां संक्षेपकर क्षमाप्रार्थी होता हूं। श्रीमहाराज का शुभचिन्तक–अस्विकादत्त व्यास । ॐ ॐ सन् १९५५ को १३ जुलाई को इन महाराजा बहादुर ने अपने जन्म से अवध प्रान्त को भूषित में किया और सन् १८८८ में राज्याभिषिक्त हुए ॥ + आनरेबुल श्रीमन्महाराजाधिराज साहब हारौ अदालत से भी बरी किये गये हैं ॥ .