पृष्ठ:बिहारी बिहार.pdf/१८६

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  • *दुचिते चित हलति न चलति हसँति न झुकति विचारि ।

लिखत चित्र पिय लखि चित रही चित्र लौं नारि ॥ ३४६ ॥ । रही चित्र लौं नारि विचित्र हि हियरो कीनँ । अनिमिष नैनन तकति में छिपी सी दुका दीनँ । किहिँ की सूरत होत बनी मूरत निरखने हित । में आधे साँस हि रुकी सुकवि स्यामा दुचिते चित ॥ ४१८ ॥ करमॅदरी की आरसी प्रतिबिंब्यौ प्यौ आय । पीठि दिये निधरक लखै इकटक दीठि लगाय ।। ३४७ ॥ इकटक दीठि लगाव रही नाहि न इत घूमति । चार बार उर लाये नैन परसावति चुमति ॥ चुंदरी सौं पुनि पॉछि कपोलन छावति सुंदरी । सुकवि पीय साहू के पुनि निरखत कर-मुंदरी ॥ ४१६ ॥ ध्यान आनि ढिग प्रानपति मुदित रहति दिनराति ।। • पल कंपति पुलकति पलक पलक पसीजत जाति ।। ३४८ ॥ । • पलक पसीजतजाति रोमाञ्चित हे पलपल में । पलपल गदगद होइ परति प्यारी हलचल मैं ॥ चित्रलिखी सी होति पलक मैं बेटि के अडिग ।। सुकवि विरह संजोग कियो पिय ध्यान अनि ढिग ।। १२० ॥ +- पिय के ध्यान गही गही रही वही व्है नारि । । आप आप ही आरसी लाख रीझति रिझवारि ।। ३४९ ।। लखि रीझति रिझवारि पु अपने हिं हर जानति । निज प्रतिविम्वहिं। पति चिप रिता ६ टि नायिका देती है कि देखें भरा चित्र निरवता है कि दृमरी का है। १० * * नग्नु रहा है उसमें दे किमकी मीर बनती हैं यह विचारती - ४१, ॥ । शुभ टठ गई हैं : च दोहा नवरदन्द्रिका और देवकीनन्दन टीका में नहीं है । में 4 दिया है। गद्दी = दिययान में दो नुगः । इम पर ह नान्नु यो प्रश्नोर करते हैं ॥ ॥

  • * * * * * * * * प्रश्न दिम्यात । आप अप पे झया यह अमर्मजम बात है।

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