पृष्ठ:बिहारी बिहार.pdf/१८८

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444444444444444444444 विहारविहार।

  • अव जात अहै चट । मेरो माकों देइ जाहु मग चाहे जो हो । सुकवि हहा

वलि जाउँ पाउँ लाग. पिय तोही ॥ ४२५ ॥

  • छुटन न पैयत छनक बसि नेहनगर यह चाल।

मारयो फिरि फिरि मारियै खूनी फिरत खुस्याल ॥ ३५३ ।। खुनी फिरत खुस्याल कपोलन जुलफन झारे । तिरछे तकि मुसकात और हूँ हीय विदारे ॥ वाकी सूरत याद करत हूं जनु जिय जैयत ।. सुकवि कहूँ दुखदन्दन स पुनि छुटन न पैयत ॥ ४२६ ॥ . . . . . निरदय नेह नयाँ निरखि भयो जगत भयभीत । ... यह अव ल न कहूँ सुनी मरि मारिये जु मीत ॥ ३५४ ॥ मरि मारिये जु मीत करोर कलेसन परि कै । पग छुए हू रहिय करेर करेज करि कै ॥ सोहँ हु भैहन ऐंठति है कैसो तुअ हिरदय । सुकवि लखी । नहिं सुनी बात ऐसी कहुँ निरदय ॥ ४२७ ॥ दुखहायनि चरचा नहीं आनन आनन आन । लगी फिरति ढुको दिये कानन कानन कान ।। ३५५ ॥ कानन कानन कान लेगावति कान न धारति । -+ तानन तानन तान तनत • नेर नगर की यह चाल हैं कि एक न रह के भी छुट नही सकते हैं। जो मारा गया है (विर) र न प्रमय फिरता है। म्यान्त = सुग्रहाल । 'मानवती में सीवचन ॥ हे निदय, तेरा नये दंग । का से देश के जगत् भयभीत हुआ है। आप भी मरना औ मित्र को मारना यह आज तक सुना भी । ३ या ४ का = ना १ -4 दानों में" ( गान में ) ताने ( व्यङ्क वचन ) तान कर ( फैलाकर ) तरी ३ गई करती हैं, पकड़ती है" } * मान १ मर्यादा = इदत ) के न मानने को १ किमी की । ने १५ किं , अन गाने का ) हो मान ( अभिमान ) मान कर मुह नही भरती ( बकना । । डी अथवा किमी की पोर नहीं देती ) ६ जान न ? ( क्या तू नही जानती ?) जान न । आठ ३ । । । अनि म आने लगी : } है।