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श्रीहरिः ।

॥ बिहारीबिहार ॥

विहारीसतसई पर कुण्डलियामय ग्रन्थ ।

(सुकवि )

भारतरत्न-पण्डित-अम्बिकादत्त-व्यास-साहित्यचाय्र्य विरचित ।

भारतसाम्राज्यव्यवस्थापकसभा तथा ‘रायलएशियाटिक सोसायटी कलकत्ता के

सभासद और अवध “ब्रिटिश इण्डियन् असोसियेशन्’’ के सार्वदिक सभापति,

श्रीमन्महाराजाधिराज द्विजराज आनरेव श्रीप्रतापनारायणसिंह देव,

के. सी. आई. ई. कोशलाधीश्वर वीरवर को समर्पित और

उनी की आज्ञा तथा सहायता से प्रकाशित ।

ग्रन्यकार की ग्राम विना इस ग्रन्य के मुट्रण का किसी को अधिकार नहीं है।

॥ काशी।

भारतजीवनयन्त्रालय में मुद्रित ।

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संवत् १८५५ ।

पहली बार
[एक हजार