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बिहारी बिहार ।

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विहारविहार । | घनघेरौ छुटगौ हरषि चली चहुँदिसि राह । कियो सुचनो आइ जग सरद सूर नर नाहि ॥ ५७७ । । । सरद सुर नरनाह चन्दजस चहुँ दिस छायो । पुण्डरीकसुभछत्र कास को चंवर दुरायो । नदनारन को महाउपद्रव सवै निबरो । सुकवि गगन भयो स्वच्छ सर्वे शुटि गो घनघेरो ।। ६७६ ॥

  • अरुन सरोरुह कर चरन दृग खंजन मुख चन्द ।।

समें आय संदरि सरद काहि न करै अनन्द ॥ ५७८ ॥ काहि न करै अनन्द वतीसी कुन्द दिखावति । * भौंरन के झङ्कार राग भैरव जनुगावति । निर्मलतोयतरङ्ग सुकवि सारी सी फरफरु । जोन्हजरी चादर तारनहारन विलसत अरु ।। ६७७ ॥ व्य ज्य बढ़ति विभावरी त्या त्या वढ़त अनन्त । | ओक ओक सब लोकसुख कोकसेक हेमन्त ।। ५७९ ॥ कोकसोक हेमन्त बिरह सों जरै अभागी । चन्द चाँदनी माहिं चोर ज्य चिन्ता लागी ॥ तरनि तरुन ज्यों होत कुसुद मुद खोबत त्यॉयो । कुकविन त्यों । । त्यो दुःख लुकबिजस जागे ज्योज्यों ॥ ६७८ ॥ | मिलि विहरत विछुरत मरत दंपति अति उसलीन । नूतन विधि हेमन्त की जगत जुराफा कीन ॥५८० ॥ | जगत जराफा कान सवे + इकपच्छ बनाया। तियपिय सँग सँग रहते लोग + | ८६ र एरिप्रकाश का याने पुस्तक में नहीं है । '• भंवराग के सुरों का भी भ्रमर झार | ";} में इ ‘भैय ६१ गुन्न र ३३ मुमान ' r ri: यह प्रमिङ कि जुराका एक * *:: : : इन।” म पुर। * दि १३ दिन त ? कि मी को टर्निर श्रीर । । पुरुः । र ६ ६ इन, इन 7 मारता है। जई ना हो तो वे इन अ को प्रा- । * ३३ ३ ४: ए इ पुर। * इन्न में इन 1: x*प = एफ झर रही जिका पक्ष । ।