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बिहारी बिहार ।

| बिहारीबिहार ।.

  • तऊ हिये पर हार रहै गुन की गरुआई । बिन गुन कारे कुटिल केस पाछे

लहराई ॥ गरे परे हू हार, सुकबि अति आदर पाये । ये फटकारे गये बार। जो ऊ मूड चढ़ाये ॥ ७४९ ॥ | पाइ तरुनिकुचउच्चपद चिरमि ठग्यो सब गाउँ । | छुटे ठौर रहिहै वहै जु है मोल छबि नाउँ ॥ ६४४ । । नाउँ सुनत तेरो बालक खलनाहित हैं। छोरि उछारि पछार माँजि पुनि धूरि मिले हैं । पछि हु पूछत नाहिँ करयो कैसो हिय असकुच ॥ क्यों तरसावत हाय सुकबि छन पाइ तरुनिकुच ॥ ७५० ॥ वे न इहाँ नागर बड़े जिन आदर तो अब ।। | फूल्यो अनफूल्यो भयो *आँवई गाँव गुलाब ॥६४५ ॥ आँवई गाँव गुलाब कौन तो क ह्याँ जानै । रूप रंग अरु गमक मरन्दन । २ को पहिचानै । बड़े आदरन तोहि सिँचावत निज बागन जे । गरे लगावत

  • सीसं धरत ह्याँ नाहिँ सुकबि वे ॥ ७५१ ॥

| कर लै सँघि सराहि कै सबै रहे गहि मौन ।। | गन्धी अन्ध गुलाब को गैवई गाहक कौन ॥ ६४६ ॥ आँवई गाहक कौन केवरी अरु गुलाब को। हिना पानड़ी बेला की बूझि है। । अब के ॥ ह्याँ कपूर अरु हींग एक ही भाव देत धर । सुकबि कहा तू अतर जुही को काढ़ि देत कर ॥ ७५२ ॥ करि फुलेल को आचमन मीठो कहत सराहि ।

  • चुप रहि रे गन्धी सुघर अतर दिखावत ताहि ॥६४७॥

३ गवईगाव ='गॅवारों” के गंाव में” ( लालचन्द्रिका ) ॥ गर्वई = दिहात ॥

  • * गन्धी मति अन्ध त” ऐसा भी अनेक पुस्तकों में पाठ है ।।

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