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बिहारी बिहार ।

se: । . बिहारीबिहार ।। खिनक खरों हाँ नीर कियो सोइ मनहुँ बहायो। गंगादिक के झोक ढार

  • दुरि सागर आयो । सो : बिन लहँ प्रवाह आजु ल खार रह्यो धरि । सुकवि

कियो इमि उलट पुलट उन स्याम सुरति करि ॥ ७६५ ॥ नीर किये बहु कूप तड़ाग हु छिति रमि खारे। बचे अस बहि जाइ उदाधि के स्वाद बिगारे ॥ तेहिँ चिरसङ्गति भूॐ भूधर+ तरु रहे खार धरि । लोनी लीनो किया सुकाब सब स्याम सुरति करि ॥ ७६६ ॥ | पुनः । । नीर माँहि जनु धोइ बहाई सहज लुनाई । काजरमिस वगरावति जर्नु । हिय हरि छबि छाई ॥ तजति जीवनाधारसक्ति जनु तापव्याज धरि । सुकाबि

  • स्वामिनी सिसकति छन छन स्यामसुरति करि ॥ ७६७ ॥

. . . पुनः । . :. नीर तकत ही आइ परी सुधि कालिय करी । हरि की कूदन डूवन हूँ की सुधि बुधि घेरी ॥ कालियबाँधे कृष्ण सुमिरि लागी अँग थरथरि । सुकाव स्वामिनी गिरी मूरछित स्यामसुरात करि ॥ ७६८ ॥

पुनः । ।

| नीर खरोह करति छनक में जमुना जू को । छटपटात सब कच्छ मच्छ हिय है धुकधूको ॥ बककारण्डवआदि भजत अतिसै संसै परि । सुकबि सबन घबरावति प्यारी स्यामसुरात कारि ॥ ७६६ ॥ . : पुनः । | खिनक खरोह नीर करात मानहुँ औटायो । बिरहज्वाल की जरनि चहूँ- दिसि जनु उफनायो । बुझि परत मनु कालिय पुनि पैठ्यो लाह औसरि । सुकवि कलिन्दी औरै कीन्ही स्यामसुरति करि ॥ ७७० ॥

  • ऊपरभूमि। * सिन्ध पच्चीव में लवण का पहाड़ प्रसिद्ध है ॥ ; उष्णता ही जीवनाधारशक्ति है

। सो अँसुओं की उष्णता के बहानेमानी उस शक्ति का त्याग कर रही है ॥