पृष्ठ:बिहारी बिहार.pdf/३६८

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बिहारीबिहार पर हिन्दी भाषा के कतिपय मर्मज्ञो की समालोचना। . :::::: . . . . AAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAA | दोहा।। वनारस कालीन दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर पंडित स्वामि श्री राममिश्रशास्त्री '. - महामहोपाध्याय प्रेषितः।:: : :: बिहारिरचितेकाव्ये धुर्थं माधुर्यमस्ति यत् । अंबिकादत्तकविना तत्सहसगुणीकृतम् ॥ पाटली पुत्वस्थ महाराजकुमार वाबू रामदौदौनसिंह क़त ।। सतसैया के दोहरा जगजाहिर जिमि वान। सुकवि अंविकादत्त नै तिनपैं फेरी सान ॥ करी विहारीसतसई जगजाहिर जिहिनाम। सुकविल्यास तावैरची कुण्डतिया सुखधाम । दोहा मैं कवितामिली जोड़परत नहिँ जान रसउलयौ पुनिसौगुनो मोहतसबै सुजान ॥ | डुमरावनिवासी रामकिशोर कवि कृत ... | दोहा ।..... : ... : ::: । सतसैया के दोहराज्यौं नावक के तौर । धनुद्दी कुंडलिया रची सुकवि व्यास. तहँ बी॥ तारणपुरनिवासी बाबू रामचरणसिंह कृत -: ..... | .. दोहा । . . .......। करी विहारी सतसई भरी अनेक सवाद। व्यासअंबिकादत्त पुनि राखौ तेहि मरजाद। * रसकरिडायोसौगुनो निजकविता के जोर । सुकवि क्वाड़ि ऐसौ करै या जग मैं को और काशिराजाश्रित श्रीवलदेव कवि प्रेषित ।। सतसइया को दोहरा कुण्डलिया मह कौन ।। व्यास अंविकास वर परम सुखद करि दीन ॥ । परम सुखद करि दौन विहारी कवि को दोहा ।। .. अति उत्तम यह भयो जाहि सुनते मन मोहा । । वन देवहु सुधि काच्य सरस सुनि चित रिसइया । सगुन दोष त° रहित भई पूरित सतसइया ।