पृष्ठ:बिहारी बिहार.pdf/३७३

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। ‘विहारविहार' रसौला ॥ शब्द सलिल बहु अर्थ ग्रन्थ अद्भुत रस चरचे। जो कछु । सुकवि सुजान, जान यह कुंडल बिरचे ॥ | सत्यसमालोचक रसिकैश चरणकिंकर मनोहरलालमित्र मंत्री । बूंदीन्द्रमहाराजाधिराज के कबिवर । परम प्रतिष्ठाधिकारी श्रीरावजी साहब श्री कविराज गुलाबसिंहजी कृत। | सम्मति के हृत ग्रन्थ तुम जो पठायो यहाँ ताहि सुनि देखि भयो आनँद अपार है। । तिलक निहारि दस सार सव हौ को लेइ छन्दोबद्ध कीनो सब जग सुखकार है ॥ सुकवि गुलाव यामैं आसय अथाहन को पूरन परिश्रम सों कौनो निरधार है ।

  • मोसे सने वारेन के मन को हरनहार मोहन को मोहकारी विहारौ बिहार है. ॥१॥

113233kaisekest उक्त रावजी साहब के कुमार श्रीरामनाथसिंह जी कृत । विहारी विहार नाम ग्रन्थ जो पठायो यहां सम्मति के काज सुतौ नीको सब भाय है। छन्दोवड पाठ अर्थ सरल सुहावन मैं आशय अनूप लखि हिय हुलसाय है । कहै कवि रामनाथ रावर परिश्रम की, मेरे जानि नौको यहै फल उपजाय है । बुध कविराजन की राजी सँहि मान पाय रोवरो सुजस दिग अंतन लौं छाय है ॥ . ( बूंदी निवासिनी श्रीमती चन्द्रकलाबाई कृत ) .. . दोहा । सम्मति हित आयो यहां तिलकबिहारी चारु । . सुकवि अंबिकादत्त क़त सोहै अति मनहारु ॥ १ ॥ चंदकला नै बुधनः कौं यहां सुनाये सीथ । अति प्रसन्न हूँ कहत भे बाह बाह सब लोय ॥ २ ॥ . ..। कक्कर