पृष्ठ:बिहारी बिहार.pdf/३७८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
( ११ )

| अव व्यासजी के श्रम के द्वारा वे निर्विवाद हो गये । मैं व्यासजौ का वड़ा उपकार मानता हूं कि उन्हों ने ग्रन्थ छपने के पूर्व ही उसे देखने का अवसर मुझे दिया-- आनन्दवनविहारी व्यासजी ने बिहार विहारी होकर इस “बिहारीबिहार द्वारा निःसन्देह भाषासाहित्य का उपकार और अपनी अटले कीर्ति का स्थापन किया है। इस अवसर पर श्री अयोध्यानरेश महाराजा बहादंर आनरब प्रतापनारायण- सिंह के० सी० आई० ई० साहव को भी मैं क्या समस्त हिन्दी के प्रेमी धन्यबाद

  • देते हैं कि जिनके अाश्रय से व्यासजी के इस ग्रन्थरत्न का प्रकाश हुअा ॥

श्री राधाकृष्ण दास-काशौ । :

  • छपराहिन्दीसाहित्य समाज के कार्य सम्यादक वावू जगन्नाथ शरण बीए बीएल लिखित

दोहा । सुभग सत्सई पूर्ण सुसि बि कसत कला उदोत । कुण्डलिया को कर छटा जगमगात नव जोत ॥ . विविध भाव भूषित कियो ग्रन्थ विहारीलाल । सुकवि याहि भूषित कियो के गुडलिया छवि माल ।। आप रसौली मतसई लरिव कवि रहे बिकान ।, भूषण क डलिया दिये तेहिँ कह से कवि सुजान ।। निज मति बुद्धि विकास ते मथि सागर इतिहास ।। ग्रन्थकार बहु कविन के जीवन किये प्रकास ॥ अन्य से इसकी भूमिका पर ग्रेन्यकर्ता का कम ग्रह नहीं हुआ है । क्योंकि जो २ साहित्य स । में बंन्धी एतिहासिक विषय अत्यन्त परियम से इकडे किये हैं वैसे हिन्दी की पुस्तकों की भूमिका में कम में पाये जाते हैं। भूमिका के पढ़ने वालों के लिये बिहारी का बंश समय आदि निविवाद हो जाता है । जिस दोहे को ग्रयर्सन साहेब प्रभृति ने जाल ठहराया था। उसको आप ने किस परियम और तर्क से असलो होना सिड करके और अने गु शुक्ति और प्रमाणो से सत्सई का सं० १९१८ में पूर्ण होना निश्चय । में किया है। अब तक विहारो के दोहे से पुट कर शब्दों को लेकर अपने कल्पित अनुमानों से फैला । । कर उनका जोवन लोगों ने लिखा था । पर उस से इतिहास से कोई सम्बन्ध नहीं था । विहीरो के

  • जोयन लिखने वालों में सबसे अधिक प्रशंसा | धन्यबाद अपक्षी का हैं ।
  • भूमिका में इसके सिवा और भी अनेक विषय हैं जिस से ग्रन्यकर्ता के परिश्रम तथा अन्वेषण ।

Research ) का परिचय मिलता है जो मदेव हिन्दी साहित्य के पाठक को उपयोगी है ।

  • विहारीसरसई के २६ प्याज्यों के नाम और उनके रचयिता के संक्षिप्त जीवन दिये हैं। इनमें कई

॥ एक ऐसे भी हैं जिनका नाम भो भान तक विदित न या । किस परियम से विहारी के समय के कः ।