पृष्ठ:बिहारी बिहार.pdf/३८२

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AAAAAAAAAAAAA1433444444 दौड़िये, दौड़िये, चूकिये मत । पण्डितअम्बिकादत्तव्यासविरचित ये ग्रन्थ हमारे यहां मिलेंगे। अवतारमीमांसा १) इन दिनों भगवान् के अवतार लेने के विषय में भी नवयुवकों की नाना प्रकार की शङ्कायं उड़ा करती हैं और हमारे दयानन्दी लोग अवतारों के विषय में मनमानी डेढ़ दाल की खिचड़ी पकाया करते हैं । पर ये सव मन के लड्डू, तभी तक हैं जब तक यह ग्रन्थ न देखा जाय ।। इस अन्य में उन सब शङ्का का निरास किया गया है, जितनी शङ्की हो सकती हैं और वेदादि समस्त प्रमाणों से अवतार सिद्ध किये गये हैं। विशेष यह है कि इस ग्रन्थ में गोकुले के गोस्वामी श्री १०८ जीवनलालजी महाराज का चित्र है और ग्रन्थ कप्त पण्डित अम्बिकादत्त व्यास का भी चित्र है । संस्कृत के पठन पाठन वाले सज्जनों के लिये अत्यन्त उपयोगी बात इसमें यह रखी गई है कि इस म * ग्रन्य के अन्त में अवतारमीमांसाकारिका लोकबद्ध रखी गई हैं। इससे छात्रों के पठन पाठने का और । विषय के याद करने का वड़ा सुभौता होगा । गद्यकाव्यमीमांसा !) उपन्यास किसे कहते हैं, उपन्यास कितने प्रकार के हो सकते हैं, उनके विषय में प्राचौनी ने क्या ने कहा है अब क्या कहना चाहिये इत्यादि गम्भीर विषय की आलोचना का एक मात्र ग्रन्थ । हिन्दो । भाषा में क्या संस्कृत में भी आज तक ऐसा ग्रन्थ नहीं बना है। हिन्दी के तथा साहित्य के हो प्रेमी हौं । ने सो अवश्यहो इसकी संग्रह करें। | रामसहस्रनाम रामायण ४) | इस अन्य में रामचन्द्र का सहस्र नाम है। और ये इस शृङ्खला से हैं कि क्रमशः समस्त रामायण में सात काण्ड की कथा आंखों के आगे आ जाती है। वैष्णव क्या धर्मिष्ठ मात्र के लेने योग्य है। इसके । अन्स में भौर भी कई एक स्त्रोभ हैं। | खामिचरितामृत ।) । काशीवासी जगप्रसिद्ध स्वामी भास्करानन्द सरस्वती जी का जीवनचरित्र । सरह वित्त सवैये में भादि छन्दों में ।।