पृष्ठ:बिहार में हिंदुस्तानी.pdf/१७

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भाषा तथा देशलिपि का पूरा पूरा सत्कार किया और उनको वह स्थान दिया जिसको प्राप्त कर लेना उनका जन्मसिद्ध अधिकार था। पर संभवतः अब भी कुछ लोग प्रमादवश कह पड़ेंगे कि जनाब, 'देशीभाषा' का अर्थ है उर्दू, न कि हिंदी या हिंदवी। निवेदन है, तनिक इसे भी देख लीजिए। अदालत के प्रसंग में अदालती कागज को ही ले लीजिए―

“जो सीटामप सभके दावे को जवाब गैरह कागज के उपर किआ जाऐगा उसके ऊपर नीचे का मजमून फारसी भाखे वो अछर वो हीनदवी जूबान को नागरी अछर भी खोदा जाऐगा।” ( अंगरेजी सन १८०३ साल ४३ आईन १३ दफा ६ तफसील)।

हो सकता है 'जूबान' के कारण आप इसे उर्दू समझ रहे हों, इसलिये कुछ और भी देख लीजिए―

“सुपरिनटनडंट साहब को लाजिम है के सीटामप कीआ हुआ कागज सभ अदालत गैरह के दफतर के साहेब लोग ईआ जो कोई के तलव करने का अखतीयार रखै उसके पास सरवराह देने के आगे सरकारि खाजाने के उपर अंगरेजि जुबान वो हरफ मे टेरेजोरी वो खजाने आमरे का बात फारसी वो वंगला वो हनदी भाखे वो अछर मे खोदा जाएगा।” ( अंगरेजी सन् १८०३ साल ४३ आईन १९ दफा )।

हिंदी भाषा के संकेत को और भी स्पष्ट करने के लिये यह आवश्यक है कि हम एक और आईन का प्रमाण पेश करें और यह साफ साफ सुझा दें कि उक्त आईनों में हिंदी, हिंदवी और