पृष्ठ:बीजक.djvu/११८

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रमैनी । (६७) अथ चौदहवींरमैनी । | गुरुमुख । चौपाई। वड़सो पापीआयगुमानी । पालँडरूपछलोनरजानी ॥१॥ वामनरूप छल्योवलिराजाब्रिाह्मणकीन कौनसोकाजा॥२॥ ब्रह्मणही सवकीन्होंचोरी । ब्राह्मणहीको लागी खोरी ॥ ३॥ ब्राह्मण कीन्होत्रंथ पुराना । कैसेहुकेमोहिं मानुषजाना॥४॥ यकसे ब्रह्मे पंथ चलाया । यकसेहंस गोपालहिगाया ॥६॥ यकसे शंभू पंथ चलाया। यकसे भूतप्रेत मनलाया ॥ ६ ॥ यकसे पूजा जौन विचारा। यकसेनिहुरिनेमाजगुजारा ॥७॥ काई काहूकोहटा न माना। झूठा खसमकबीरन जाना ८॥ तनमनभजिरहु मेरे भक्ता । सत्यकवीर सत्यहै बक्ता ॥९॥ आपुहिदेवआपुही पाती। आपुहिकुलआपुहिहैजाती॥१०॥ सर्वभूतसंसार निवासी । आपुहिकुसुमपुसुखरासी॥११॥ कहतेमोहिंभये युगचारी । काके आगे कहौं पुकारी ॥१२॥ साखी ॥ सांचो कोई न मानई, झुटाके सँगजाय ॥ झूठेझुठा मिलिरहा, अहमक खेहाखाय ॥ १३ ॥ बड़ोसोपापीआयगुमानी। पाखैडरूपछलोनरजानी ॥ १॥ वावनरूपछल्योवालराजाब्रिाह्मणकीनकौनकराजा॥२॥ | साहब कहै तै बड़ोपापी है बड़ोगुमानी है काहेते कि मैं येतो समझाऊहीं हैं नहीं समझहै सो मैंजान्यो पाखंडरूप जो घाखा ब्रह्मताते हेनर ! तुमछलेगये और जिनको छल्यो तिनको कहैहैं १ वहीमाया सवलित ब्रह्म बामनरूप कारकै