पृष्ठ:बीजक.djvu/१३

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(१०) बीजककी-अनुक्रमणिका । | विषय, पृष्ठ. | पृष्ठ. विषय. । ... ५६७ साचा शब्द कबीर का ... ५५६ | काल खड़ा शिर ऊपरे जो तू सांचा बानिया ... ५५७ | कायाकाठी काळघुन .... ५६८ कोठी तो है काठ की ... ५५७ | मन माया की कोठरी ... ५६८ सावन केरा मेहरा ... ५७ | मन माया तो एक है ... दिग बूड़ा उसला नहीं ... ५५८ | बारी दिन्हो खेतमें ... .... ५६९ साखी कहैं गहैं नहीं ... मन सायर मनसा लहार ... ५६९ कहता तो बहुते मिला ... ५५९ सायर बुद्धि बनाय कै .... ५६९ एक एक निरुवारिये ... मानुष होके ना मुआ .... ५७० जिह्वा को दै बन्धने ... मानुष तै बड़ पापिया ... ५७० नाकी जिह्वा बन्द नहीं ... मानुष विचारा क्या करे कहे पानी तो जित्ये ढिगे ... ५६० न खुले कपाट ... ... ५७० हिलगौ भाल शरीर में ... मानुष विचारा क्या करे जाके आगे सीढ़ी साँकरी... ... शून्य शरीर ....... ५७० संसारी समय विचारिया ... मानुष जन्महिं पायके ... ५७१ संशय सब जग खंधिया ... बोलना है बहु भांतिका .... ज्ञान रतन को यतन करु ... ५७१ मानुष जन्म दुर्लभ अहै ... ५७१ मूल गहेते काम है... ... ५६२ भंवर बिलम्बे बाग में | बांह मरोरे जात हौ ५७२ .... .... भंवर लाल बगु जाल है ....

  • साखी पुलंदर ढह परे .... ५७२ तीन छोक टीड़ी भई

बेरा वाधिन सर्प को ... ५७२ नाना रंग तरंग है ... ... ५६३ कर खोरा खेवा भरा ... बाजीगर का बांदरा | एक कहैं। तो है नहीं .... ५७४ ई मन चंचल चोरई ... ५६४ | अमृत कैरी पूरिया .... .. ५७४ विरह भुवंगम तन डसा ... ५६४ | अमृत केरी मोटरी ....... ५७४ राम वियोगी विकल तन .... ५६४ | जाको मुनिवर तप करें। ५७५ विरह भुवंगम पैठिके ... ५६५ | एकते हुआ अनंत*... .... .... ५७५ करक करेजे गड़ि रही ... ५६६ | एक शब्द गुरु देवको। ... ५७५ काला सर्प शरीर में ... ५६६ | राउर को पिछुआरकै .... ५७५

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