पृष्ठ:बीजक.djvu/१८

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م बीजककी-अनुक्रमणिका । (१६) विषय. पृष्ठ. । विषय. पृष्ठ. । मरते मरते नग मुवा ... ६३९ | सुत नहिं माने बात पिताकी... ६४९ बस्तु है गाहक नहीं .... ६३९ | सबै आश कर शून्य नगरकी ६५० सिंह अकेला वन रमैं | भक्ति भक्ति सब कोई कहै ... ६५० मरते मरते नग मुवा समुझौ भाई ज्ञानियो ... ६५० पैठा है घट भीतरे... ... धोखे सब जग बीतिया .... ६५० बोलतही पहिचानिये ... ६४० | मायाते मन ऊपजे .... ... ६५१ दिलका महरम कोइ न मिलिया ६४० | राम कहत जग बीते सिगरे... ६५१ बना बनाया मानवा ... ६४१ यह दुनिया भई बावरी ... ६५१ सांच बरोबर तप नहीं .... ६४३. राजा रैयत होये रहा ... ६५१ करते किया न विधि किया... ६४१ जिसका मंत्र जपै सब सिखिकै ६५२ आगे आगे दव जरे... ... ६४१ जनि भूलौरे ब्रह्मज्ञानी .... ६५२ सर हर पेड आगध फल ... ६४२ देवं न देखा सेव कही.... .... ६५२ बैठ रहे सो बानिया ... तेरी गति तें जाने देवा .... ६५२ युवा जरा बालपन वीत्यो ... खाली देखिके भ्रम भा ... ६५३ भूलासो भूला बहुरिकै चेतु ... सबही तरुतर नायके ... बूझ आपनी थिर रहै ... ६५३ श्रोता तो घरही नहीं देखा देखी सब जग भरमा... ६५३ कंचन भो पारस परसि ह्वांकी आश लगाइया .... ६५३ बेचूने जग राचिया ... । नेईके बिचले सब घर बिचला ६५३ साईं नूर दिल एक है । रामरहे बन भीतरे ... ६५४ रेख रूप जेहि है नहीं। बिना रूप बिन रेखको ... ६५४ धन्य ध्यान वा पुरुषको ... ६४६ डर उपजा जिय है डरा ... ६५४ यह मनतो शीतल भया ... ६४६ | सुख को सागर मैं रचा .... ६५५ जासों नाता आदिको ... ६४७ | दुख न हता संसारमें ... ६५५ बूझो शब्द कहां ते आया ... ६४८ | लिखा पढी में परे सब ... ६६५ बूझो कर्ता आपना ... ... ६४९ | धोखे धोखे सब जग बीता ... ६५६ हम कर्ता हैं सकल सृष्टिके ... ६४९ | साखी आंखी ज्ञान की .... ६५६ ६ م س ६ س ६ ६ س ه • ६ ه