पृष्ठ:बीजक.djvu/१९७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
( १४७ )
रमैनी ।

________________

रमैनी। ( १४७) गर्भ में रह्यो तब साहब ते कह्योहै कि तुम मोको गर्भते छुड़ायो मैं तिहारोभजन कराँगो औ जव गर्भते निकस्यो जन्मलियो तब वह बात लवरी कै डरयो मैं कहा कह्यो है साहब को भजन न कियो कहा करन लग्यो ॥ १ ॥ लवरिविहानेलवरीसाँझा। यकलावरिवसहृदयामाँझा ॥२॥ रासहुंकेर मर्मनहिं जाना । लै मतिठानी वेद पुराना ॥३॥ सो यहितरह ते लवरी बिहान है औ साँझके लवरीक है। कहे आपन औ गुरुके औ देवताके ऐक्यता मानै है काहेते तीनि कहैं हैं कि, एक लवरी जो है। मायासो हृदयमें बसैहै सोई सव लवरी कहावै है॥२॥ सो भला ब्रह्म को मर्म न जानै ते न जानै काहेते कि वहतो धोखा है सो कछू वस्तु होइ तौ जानै परन्तु सांच औ सर्वत्र पूर्ण औ सबते श्रेष्ठ ऐसे जे श्रीरामचन्द्र हैं तिनको जो या मर्म है कि, जो कोई मेरे सन्मुख होइ ताको मैं छुड़ाई लेउ या जीव न जानतभये साहब छुड़ाइ लेइहै तामें प्रमाण ॥ *अबही लेउँ छुड़ाय वकालते जो घट सुति सम्हारो।। याहीहेतु सुरति दिया है मतिलैकै कहेग्रहण कारकै वेदपुराणके अर्थ ठनै है कहे अपने सिद्धांतनमें लगायदेइ है ॥ ३ ॥ वेदडु केर कहानही करई । जरतैरहै सुस्त नहिं परई ॥४॥ सिद्धांततै एकैहाइहै साहबकोसिद्धांत जो तात्पर्यवृत्तिकरिकै यह कहैं है सो भला न जानै मुक्ति न होई परन्तु वेदमें जो सुकर्म लिखे हैं सो करिकै नरकते तौ बचै सो वेदहू की कही जो बिधि निषेधहै सोऊ नहीं करैहै ऐसो मूढ़ यह नीव शोकरूपी अग्निमें जरते रहे है सुस्त नहीं परै है सुचित्त नहीं होय है अर्थात् इहां कुछ छोड्यो उहां घेखाजेब्रह्महै तहकुछ न समझ्यो औईश्वर ने हैं तिनहूँ को काहू न मान्य औ सबके रखवार दयालु जे श्रीरामचन्द्रहैं तिनहूं छोड़यो तेहिते मूर्ख उंटके पाद है गयो न जमीनको न आसमान कोः वाको कौन बचावै। जो कहो आत्माको चीन्हिकै बचिजाय तो जो आत्मामें एती शक्तिहोती तौ बंधनमें न परतो आपही बचिजातो ताते सबके रखवार जे साहवहैं तिनहीके बचाये बचें ॥ ४ ॥