पृष्ठ:बीजक.djvu/३२९

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शब्द । (२७९) छः मासतागवर्षदिनकुकुरी ।लोग कहलभलकातलवपुरी३ छः महीनामें एक ताग कात्यो, छ:महीनामें एक ताग और कात्यो तब बर्षदिनमा एक कुकुरीभै दोनों ताग मिलायकै । अर्थात् छः महीनामें अपनौ स्वरूप समुझया कि, मैं साहबकी नारीह औ छः महीनामें मैं साहब स्वरूप समुझ्यो । बर्षदिनमें सावको मिल्यो सो मैंतो इतनीदेर करिकै मिल्यों साहव त हनूरहार हैं ताहूमें लोग कहै हैं कि, वपुरी भलकात्यो जो अनंतकोटि जन्मत नहींनाने सोसाहवको वपु आपनो वपु बर्षे दिनामें समुझ्या ॥३॥ कहैकवीरसूतभलकाता । रहँटा न होय मुक्तिको दाता ॥४॥ | श्रीकबीरजी कहै हैं कि, जौने रहँटा जगत्ते सूत भल कात्यो है । कतैवैया कबीरनको विवेकै है सो रहँटा न होय यह मुक्तिको दाता है, काहेते कि, जब शुद्ध अत्मा रह्या है याको परमपुरुष श्रीरामचन्द्रहैं न तिनको ज्ञानरह्यो औ न संसारको ज्ञानरह्यो यह शुद्धरूप भरो रह्यो है तामें प्रमाण ॥ * नित्यः सर्वगतस्स्थाणुरचलायंसनातनः ॥ इतिगीतायाम् ॥ जब यह याके मन भयो तब संसारको कात्यहैि औ संसार में परिकै दुःख सुख भोग किया है । औं जब पूरागुरु मिल्येहै तब परमपुरुष ने श्रीरामचन्द्र तिनको पाइकै संसारते छूटिगयोहै औ पुनि संसार में नहींआये । सो कबीरजी कहै हैं कि यह रहँटा कहे संसार न होय मुक्तिको दाताहै जो संसार बुद्धि करिकै देखैहै सो संसारमें रहै है औजो संसारको साहवको चित् अचित्रूप करिकै देखैहै ताका मुक्ति है। देइहैं या संसारैमें आये मुक्त भयो है ॥ ४ ॥ इति पैंतीसवां शब्द समाप्त । अथ छत्तीसवां शब्द ॥ ३६॥ हरि ठग जगत ठगौरी लाई। हरि वियोग कसाजियहुरेभाई। | कोकाकोपुरुषकौनकाकीनारी।अकथकथायमजालपसारी २ को काको पुत्र कौन काको वापा। कोरे मेरै को सहे संतापा