पृष्ठ:बीजक.djvu/४३३

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शब्द ।। (३८९) तिनको झगरा देखता कौन है जो सबके ऊपर होइहै सो साहब कहै हैं कि जि. नको मैं हंसस्वरूप दियो है मेरे पास पहुंचे हैं ते सबके ऊँचेह्रकै उनको झगरा देखते हैं औ हँसते हैं कि सांच साहवतो एकई हैं ताको जानै नहीं हैं। आपुसमें झगरते हैं ॥ २ ॥ इति नब्बे शब्द समाप्त । अथ इक्यानबे शव्द ॥ ९१ ॥ जो देखा सो दुखिया देखा तनु धरि सुखी न देखा ।। उदय अस्तकी बात कहतह ताकर करहु विवेका ॥ १ ॥ बाटे वाटे सवकोई दुखिया क्या गिरही बैरागी । शुकाचार्य दुखहीके कारण गर्दै माया त्यागी ॥ २ ॥ योगी दुखिया जंगम दुखिया तापसको दुखदूना ।। आशा तृष्णा सवघट ब्यापै कोई महल नहिं सूना ॥ ३॥ सांच कहौं तौ स्व जुगलीझै झूठ कहो नहिं जाई ।। कह कवीर तेई भै दुखिया जिन यह राह चलाई ॥४॥ जो देखा सो दुखिया देखा तनुधरि सुखी न देखा उदय अस्तकी बात कहतहौं ताकर करहु विवेका ॥ १॥ जाको संसारमें देखे हैं ताको सबको दुखिये हेखें तनुधरिकै सुखिया काहूको नहीं देखा काहेते कि गर्भते जो जीव निकस्यो तो माया लपटि जाती है सों उदय अस्त कहे सब संसारकी बात कहौहाँ अरु ताकर तुम विवेक करत जाउ ॥ १ ॥ बाटे बाटे सवकोइ दुखिया क्या गिरही बैरागी । शुक्राचार्य दुखहीके कारण गधैं माया त्यागी ॥ २॥ आपने अपने वाटमें कहे आपने अपने मतमें सबको दुखिया देखते हैं क्या गिरही क्या बैरागी अर्थात् त्रिगुणके मतमें सब परे हैं मायाको दुःख कोई नहीं