पृष्ठ:बीजक.djvu/४४

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                           रमैनी।         (४१)
परस्ततोहहेत ॥ वन तीसँवरन निरमान ॥ हिन्दू मुँरक दाऊभरमान ॥ साक्षी ॥ भरमिरहेसब भरममहं, हिदूतुरुकबखन ॥ कहहिंकबीरपुकारकै, बिनुगुरुकोपहिचान ॥ १४ ॥ रमैनी ॥ भरमत भरमतसवै भरमाने ॥ रामसनेही विरलेजाने ॥ तिरदेवा सबखोजतहारे ॥ सुरनरमुनिनहिपावतपारे । थकितभयातबकहावेअन्ता ॥ विहाननारिरही बिनु केंन्ता । कोटिनतरक करें मनमाहीं ॥ दिलकी दुविधा कतहुँनजाहीं ॥ कोई नख शिखजटा बढ़ावै ॥ भरमिभरमिसवजहँतहँधावें ॥ बाटनसूझै भईअँधेरी ॥ होयरहीबान की चैरी ॥ नाना पन्थ बरनिनहिंजाई ॥ (जातिकर्म गुन नाम बड़ाई ) जाति वरणकुलनामवड़ाई ॥ रैन दिवसवे ठाँढरहही बृक्ष पहारकाहेंनाहितरहीं ॥ साक्षी ॥ सँसमनचीन्हे बावरी, परपूरूषढौलीन ॥ कहंहिकबीर पुकारके परीनबानीचीन ॥ १५ ॥ रमैनी । कैनरसकी मतवालीनारि ॥ कुंटनीसेखोजे लँगैवारि ॥ कुटनीखिन कीजरदियऊ। लागितावन ऊपरपीयऊ । काजरलेके हुवैगईअंधी ॥ समुझनपरीवर्तकी

संधी ॥ बाजेकुटनीमारे भटकी ॥ ई सव छिनरोतामअटकी ॥ विरहिनिहोय के देहसुखावै ॥ कोई शिरमह केशवढाई ।। मानि मानिं सब कीन्ह सिंगारा ॥ बिनापियपरसैसबैअंगारा ॥ साक्षी ॥ अटकीनारिछिनारि सब, हरदम कुटनीद्वार ॥ खसम न चीन्हेबावरी, घरघराफरतखु

९२ संस्कृत वर्णमाला के ५२ अक्षर ॥ ९३ मुसलमानीवर्णमाला के ३० अक्षर ॥ ९४ मुसलमान ॥ ९५ वियोगिन ॥ ९६ पिया मालिक ॥ ९७ खड़े ।। ९८ मालिक ॥ ९९ बाणी ॥ १०० गुरुआ लोग ॥ १०१ आशना, जार ॥ १०२ झूठा उपदेश ॥ १०३ उपदेश करने लगी ॥ १०४ मिलावट ॥ १०५ इशारा ॥