पृष्ठ:बीजक.djvu/४४५

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शब्द । ( ३९७) करि आपनेमें लगावो इनको वश नहीं है तामें प्रमाण ॥ “यथादारुमयीयोषिन्नृत्यते कुहकेच्छया । एवमीश्वरतंत्रयमीहते सुखदुःखयोः ॥ चौपाई ॥ ६ उमा दारुयोषितकी नाई । सबैनचावत रामगोसाई ॥ ८ ॥ इति सत्तानबे शब्द समाप्त ।। अथ अट्टानबे शब्द ॥ ९८॥ आवो वे आवो मुझे हरिको नाम।औरसकल तजुकौनेकाम कहूँ तब आदम कहँ तव हवा । कहूँ तब पीर पैगम्बर हुवा२॥ कहँ तव जिमीकहां असमानाकहँ तव वेद किताव कुराना३ जिन दुनियामें रची मसीद । झूठो रोजा झूठ ईद ॥ ४॥ सांच एक अल्लाको नामाताको नय नय करौ सलाम ॥६॥ कधौं भिश्त कहांते आईं।किसके कहे तुम छुरी चलाई६॥ करता किरतिम बाजी लाई। हिंदु तुरुक दुइ राह चलाई॥ कहूँ तबदिवस कहांतब राती।कहँ तवकिरतिम कीउतपाती८ नहिंवाकेजातिनहींवाकेपाती।कहकवीरवाकेदिवसनराती९ आवो बेआवोमुझे हरिको नामाऔरसकल तजु कौनेकाम १ कहें तब आदम कहें तव हवा । कहँ तव पीर पैगम्बर हुवा२॥ कहँ तव जिमीकहाँ असमाना।कहूँ तब वेदकिताब कुराना३ श्रीकबीरजी कैहैहैं कि, जौने नाममें सब नामहैं तौने जो मन बचनके | परे हरिको नाम है सो हे जीव ताको हैं बिचारकरु कि, मोको आवै । और सब बस्तु झूठे छोडिदे, कौने कामके हैं । जब वह नाम रह्यो। आदिमें तब कुछ नहीं रह्यो ॥ १ ॥ ॥ २ ॥ ३ ॥ पदका अर्थ स्पष्ट है भाव यह है। कि, ये ने कहिआये ते कहां रहैहैं अर्थात् कोई नहीं रहे ॥ २॥ ३ ॥