पृष्ठ:बीजक.djvu/५५३

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अथ बेलि प्रारम्भ ।


- हंसा सरवर सरिरहो रमैया राम । जगत चोर घर मूसल हो रमैया राम ।। १ ।। जो जागल सो भागल हो रमैया राम ।। सोवत गैल बिगोय हो रमैया राम ॥ २॥ आज बसेरा नियरे हो रमैया राम । काल्हि बसेरा दूर हो रमैया राम ॥ ३ ॥ परेहु बिराने देश हो रमैया राम ।। नैन मरेंगे ढूंढ़ि हो रमैया राम ॥ ४ ॥ त्रास मथन दधि मथन कियो हो रमैया राम ।। भवन मथ्यो भार पूरि हो रमैया राम ॥॥ हँसा पाहन भयल हो रमैया राम । बेधि न पद निरबान हो रमैया राम ॥ ६ ॥ तुम हंसा मन मानिक हो रमैया राम ।। हटल न मानल मोर हो रमैया राम ।।७।। जस रे कियो तस पायो हो रमैया राम । हमर दोष जनि देहु हो रमैया राम ॥ ८॥ अगम काटि गम कीन्हो हो रमैया राम ।। सहज कियो बैपार हो रमैया राम ॥ ९॥