पृष्ठ:बीजक.djvu/६९३

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बघेलवंशागमनिर्देश ।


--- - | दोहा-वैद वाणी वीण कर, विधिरानी विख्यात ॥

वरदानी ज्ञानी सुयश, हरि गानी दिन रात ॥ १ ॥ मदन कदन सुत मुद सदन, वारण वदन गणेश ।। वंदतह अरविंद पद, प्रद उर बुद्धि विशेश ॥ २ ॥ सवैया-श्रीरघुनंदन श्रीयदुनंदन औध द्वारकाधीसविलासी । रावणकंस विध्वंस किये जिन अंश भयअवलारप्रकाशी पारकयाभवसिंधु अपारको वोहितनामजासंतसुपासी। वंदत हो तिनके पद द्वंद्व सुअरविंद अनंदरासी ॥ दोहा-शंकर शंकर पद कमल, वंदन करौं निशंक ॥ शिर मयंक शुचि वंक जेहिं,लसति शैलजा अंक ॥३॥ प्रियादास पद पद्म युग, पुनि पुनि करहुँ प्रणाम ।। विश्वनाथ नरनाथ गुरु, हार स्वरूप सुखधाम ॥ ४ ॥ सच मकुंद स्वरूपजे, नाम मुकुंदाचार्य ॥ वैद नृप रघुराज गुरु, करन सिद्ध सब कायॆ ॥ ५॥