पृष्ठ:बीजक.djvu/७०७

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बघेलवंशवर्णन । ( ६७९ ) सो तेहिते इंग्यरही वैशा । होइहै नृपनमा अवतंशा ॥ बिच बिच और भूप जे है हैं । ते हरिभक्ति हीन है जै हैं । दोहा-ब्रह्मतेजते तपित अति, है है कोउ नरेश ॥ । तजि यह बांधव दुर्ग को, वसिहै और देश ॥ ६४ ॥ ते सब भूपन को जस नामा । शिष्य मोर लिखिहैं अभिरामा ॥ दशै वंश तुव अंतहिकाला । संत वेषदै दरश विशाला ॥ तोको, रामधाम सैंजैहौं । आवागमन रहित करिहौं । अस कहि श्रीकबीर भगवाना । परमधामको कियोः पयाना ॥ श्रीकबीरके : शिष्य सुजाना । धर्मदास भे, विदित जहाना । तिनके शिष्य प्रशिष्य घनेरे । लिखे जें औरहुँ भूप बड़ेरे ॥ तिनको नाम सुयश परतापा । कहिंहौं मैं सुखमानि अमापा ॥ कह्यो पूर्व जो संत कबीरा । वीरभानु नृप भो मतिधीरा । दोहा-राम भूप सुत तासु भी, इन दून करतूति ॥ प्रथम कछक वर्णन करौं, जग प्रसिद्धमजबूति ।। ६५ ॥ दिल्ली रह्यो हुमायूं शाहा । मान्य हुकुम सकल नरनाहा ।। शेरशाह दिल्लीमें आई । दियो हुमायूं शाह भगाई ॥ दिल्लीमें कर अमल सुहायो । सदल आपने अदल चलाया ॥ शाह हुमायू बेगमकाहीं । गर्भवती सुनिकै श्रुतिमाहीं ।। नरहरि महापात्र लिय मांगी । सब भूपन ढिगगे सुख पानी ॥ राख्यो नहिं कोउ भूपति ताहीं ! आयो वीरभानु ढिग माहीं ॥ वीरभानु तेहि भगिनी भाखी । पाटन शरह देतभयो राखी ।। बेगम सो दिल्लीपति जायो । अकबर शाह नामसो पायो । दोहा-आई बाधा नगरमें, शेरसाह की सैन । वीरभानु नृपस कहे, लखि आये जे नैन ॥ ६६ ॥ तते नृपति पयान करि, बांधवगढ़गो धाय ॥ शेरशाह लिय छेकि तेहिं, अमित सैन्य लै आय।।६।।