पृष्ठ:बीजक.djvu/७५८

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(७३८) बघेलवंशवर्णन । अथ सिंहावलोकनके उदाहरण ॥ सवैया–वीरनमें जे गने अवनी अवनीकेनेते चुने रणधीरन॥ धीरन में जसडुलसीलसीसो तसहै जसमें जनभीरन ॥ भीरनतेयुगलेश सुनै सुनै प्रीतिजगीनहिंदानअजीरन । जीरनसनाहभौते भजै भजैजोहियरोनित श्रीरघुवीरन ॥ १॥ जाकरंजागैप्रतापदिवाकरवाकरतोप्रतिपाल प्रजाकर ॥ जाकर तेज सऊगौसुधाकर धाकरमाये मनैवसुधाकर ॥ धाकरहूवसुपाइकैताकरताकरआननताकेसुखाकर ॥ खाकरहैडखको कहै काकर काकर तार करै घर जाकर ॥२॥ कॉमनमॅअहैं आलसनामन नामनमें चहतोपरवामन ॥ वामन बोलत बैननसामन सामनरैसो तजै केहूंजामन॥ जामनमें वसताअभिरामनरामनसो तेहिमानैसदामन ॥ दाभनदै रघुराजकै ठामन ठामन सेवत संत अकामन ॥ ३ ॥ कीरतिरंभाकिध हैशची शचीजामॅअछेहकदिनकीरति ॥ कीरतितौ तिन्होकी इती द्युति कौनि अहमति मेरि ऊँचीरति॥ चीरति यासिलधारे खरी खरी गर्ब भरी चहूँ छाचि खहीरति॥ हीरति पूरति महि माहिमें जानि परे रघुराजकी कीरति ४ शाह सराहतभोजहि भूपर भूपरहौकितहूं अब ना अस॥ ना असते मुख भाषत वैनहैं बैनहैं त्रासन तामस राजस॥ राजसमाज विराजत वासव वासव सो निगुणी गुणी पारस ॥ पार सबै करतो जु भवै भवै सो रघुराज भजो कर साहस॥६॥ सोहत भावसोंक्रीट शिरै दिये दीपत जासुशिषत्तु विमोहत। मोह तमे को विनाश करै करै कांतिभूबाय दृगानिस जोहत॥