पृष्ठ:बीजक.djvu/९

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बीजककी-अनुक्रमणिका । | विषय. । | पृष्ठ. | विषय. मंत्री यंत्र अनूपम वाजे ३४२ | बाबू ऐसो है संसार तिहारो ३८९ बस मासु नरकी तस मासु पशुकी ३४५ | कहों निरंजन कौनी बानी ३९१ बातृक कहां पुकारै दूरी ३४७ को अस करे नगर कोतवलिया ३९२ चल का टेढो टेढो टेढो ३४८] काकाह रोवोगे बहुतेरा ३९३ फिर क्या फूले फूले फूले ३४९ | अल्लाह राम जिव तेरे नाई ३९४ योगिया ऐसी है वदकर्मी ३५१ | आब बे आव सुभे हरिको नाम ३९७ ऐसो भर्म विगुरचन भारी ३५४ अबकह चल्यो अकेले मीता ३९८ बापनप आपुहि विसरचो ३५६ देखहु लोगो हरिकी सगाई ३९९ मापन आश किये बहुतेरा ३५८ दाख देखि निय अचरज होई ४०० अब हम जानिया हो हरि बाजी होदारी कहां है देउँ तोहिंगरी ४०२ को खेळ .... ... ३५९ लोगो तुमहि मतिके भीरा ४०३ हडहो अम्बर कासी लागी ३६० | ओं नाथ कैसे कै त ४०५ बन्दे करले आप निबेरा ३६१ । | यह भ्रम भूत सकल जग खाया ४०७ तूतो र ममा की भांती हौ ३६२ भवंर उडे वक बैठे आय ४०८ तुम एहि विधि समझ लोई ३६५ भला बे अहमक नादानी ३६७ खसम बिनु तेली के बैल भयो ४०९ कानी तुम कौन किताब बखानी ३६८ | अब हम भयल बहिर जग मीना ४११ लोग बॉलै दुरिंगये कबीर ४१२ भूला लोग कहे घर मेरा ३७१ | आपन कर्म न मेटो जाई ४१४ कविरा तेरो घर केंदलामे या है कोई पंडित गुरु ज्ञानी ४१५ | जग रहते भुलाना ... ३७२ | कबिरा तेरोघर कंदलामें मनै | झगरा एक बढो ( जियजान ) ४१६ | अहेरा खेले झूठेजन पतियाहू हो संतसुजाना ४१७ ... ... ३७७ सावज न होय भाई सावन नहोई ३७९ सारशब्दसे वाचिहो मानहु- है | हुमागे केहिकारन लोभ लागे ३८२ यतवाराहो ....' संतमहन्तौ सुमिरो साई ३८२ संतो ऐसी भूल जग माही बोदेखा सो दुखिया तनधार सु इति शब्द | खिया काहु न देखा .... ३८५ | अथ चौतीसी ।। ४२१॥ तो मनको चिन्हो रे भाई ३८६ । ॐ कार आदिहि नो जाने ४२४ अक्र०के प०