पृष्ठ:बीजक मूल.djvu/१०८

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वीजक मूल १०६ : शब्द ॥ ८८॥ सावज न होई भाई सावज न होई । वाकी मासु भखे सब कोई ॥ सावज एक सकल संसारा। अवगति वाकी वाता ॥ पेट फाड़ जो देखियरे भाई। आहि करेज न आँता । ऐसी वाकी मांसुरे भाई ।। पल २ मांस विकाई । हाड़ गोड़ ले घूर पवारिनि। अागि धुवॉ नहिं खाई ॥ शीर सींग किछुवो नहीं वाके । पूछ कहा वै पावें ॥ सब पंडित मिलि धंधे परिया । कविरा वनोरी गावें ॥८॥ शब्द ।। ८६ ॥ 1 सुभागे केहि कारण लोभ लागे । रतन जन्म । खोयो ।। पूर्व जन्म भूमि कारण । बीज काहेक । बोयो । बुंद से जिन्ह पिंड संजोयो । अग्नि कुंड . रहाया। जब दश मास माता के गर्ने । वहरि . लागल माया ॥ वारहु ते पुनि वृद्ध हुवा । होनहार सो हुवा ।। जब यम अय, वॉधि चलय हैं । नैनन भरि भरि रोया ॥ जीवन की जनि अासा राखो