पृष्ठ:बीजक मूल.djvu/११२

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RAHA - - - - - - ८ .* वीजक मूल * ११३ कहहिं कवीर सुनो हो संतो। बूझो पंडित ज्ञानी॥४ शब्द ॥ १५॥ - को अस करे नगरकोट वलिया। मासु. फैलाय गिद्ध रखवरिया ॥ मूस भौ नाव मंजार कंडिहरिया । सोवे दादुर सर्प पहरिया । बैल वियाय गाय भई । वंझा । बछरू दुहिये तीनि २ सझा ॥ नित उठ सिंह स्यार सो जूझै । कविरा का पद जन विरलावूझैः५॥ शब्द ।। ६६॥ ___काको रोवौं गैल बहुतेरा । बहुतक मुवल । फिरल नहिं फेरा ।जब हम रोया तब तुम न संभारा। गर्भ वासकी वात विचारा । अब तैं रोया क्या तैं। पाया । केहि कारण अब मोहिं रोवाया ॥ कहहिं । कवीर सुनो संतो भाई । काल के बसि परो मति कोई ॥ई शब्द ॥३७॥ ___ अल्लह राम जीव तेरी नाई । जिन्ह पर मेहर । होहु तुम साई ॥ क्या मुंडी भुई शिर नाये ।। क्या जलदेह नहाये ॥ खून करे मिस्कीन कहाये।