पृष्ठ:बीजक मूल.djvu/१२१

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PAHARAMMARRAKAKANHair ध बीजक मूल 'शब्द ।। ११२॥ ___ मगरा एक बढ़ो राजा राम । जो निरुवारे। सो निर्वान ॥ ब्रह्म बड़ा कि जहाँ से भाया । वेद । बड़ा कि जिन्ह उपजाया । ई मन बड़ा कि जेहि । मन माना । राम बड़ा की रामहिं जाना ॥ भ्रमि। भ्रमि कविरा फिरे उदास । तीर्थ बड़ा कि तीर्थ

  • का दास ॥ ११२ ॥

_शब्द ॥ ११३ ॥ 1 झूोहि जनि पतियाउ हो । सुनु सन्त सुजा ना॥ तेरे घटही में टगपूर है।मति खोवहु अपाना। झूठे की मंडान है । धरती अस माना । दशहुँ दिशा वाकी फंद है । जीव घेरे आना। योग जप तप संयमा । तीरथ व्रत दाना ॥ नौधा, वेद कितेव, । हैं । झूठे का वाना ।। काहु के वचनहिं फरे । काहु । करामाती ॥ मान बड़ाई ले रहे । हिंदू तुरुक जाती वात.व्योंते अस्मान की । मुदित निय रानी॥ 'बहुत खुदी दिल राखते । बूड़े विनु पानी ॥ कहहिं । M ytes