पृष्ठ:बीजक मूल.djvu/१३३

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RAAMARIKAARAAAAAAAAAAAAAAAKHAR ..१३४ वीजक मूल 1 भई लचपच । कहा न मानेहु मोरा हो ॥ ताजी तुर्की कबहुँ न साधेह । चढेह काठ के घोराहो ॥ ताल झांझ भले वाजत अावे । कहरा सब कोइ।

  • नाचे हो । जेहि रंग दुलहा व्याहन पाये । दुल

हिनि तेहि रंग राचे हो॥ नौका अछत खेवै नहि। जानहु । कैसेक लगवह तीरा हो । कहहि कबीर। में राम रस माते । जोलहाँ दास कबीरा हो ।। १ ।। पहरा ॥२॥ - मत सुनु मानिक मत सुनु मानिक । हृदया। वंद निवारहु हो । अटपट कुम्हरा करे कुम्हरैया।। चमरा गांव न बांचे हो । नित उठि कोरिया पेट ३ भरतु है । विपिया यांगन नाचे हो ॥ नित उठि।

  • नोवा नाव चढतु है । वेरहि वेरा बोरे हो ॥ राउर ।

की कई खबरि न जानहु । कैसे के झगरा निवरहु । हो एक गांव में पांच तरुनि बसें। जहिमा जेठ । जानी हो ।। यापन यापन झगरा प्रकासिनि । पियासो. प्रीति निसाइनि हो । भैसिन माहिं रहत N