पृष्ठ:बीजक मूल.djvu/१४६

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P TTNA बीजक मूल माते पढ़ि पुरान ॥ तपसी माते तप के भेव ।। संन्यासी माते करि हमेव । मोलना माते पढि । मुसाफ । काजी माने दै निसाफ ॥ संसारी माते माया के धार । राजा माने करि हँकार ।। माते है शुकदेव उद्धव अक्रूर । हनुपत माने ले लंगूर ।।। शिव माते हरि चरण सेव । कलि माते नामाजैदेव ॥ सत्य सत्य कहे सुमृति वेद । जस रावण मारेउ घर के भेद ॥ चंचल मनके अधम काम । कहहिं कबीर । । भजु राम नाम ॥ १०॥ वसंत ॥ ११ ॥ शिवकासी कैसी भई तुम्हारि । अजहुँ हो शिव लेहु विचारि ॥ चौवाचंदन अगर पान । घर घर सुमृति होय पुरान ॥ बहु विधि भवने लागु । भोग । ऐसो नग्र कोलाहल करत लोग ॥ वह विधि परजा लोग तोर । तेहि कारण चित धीठ मार ।। हमरे बलकवा के इहै ज्ञान । तोहरा को सनुझावे ! | आन ॥ जोजेहि मनसे रहल आय । जीवका मरण iyyyloener

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