पृष्ठ:बीजक मूल.djvu/६९

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ALLIA NAGAR. . . वीजक मूल मच्छ अहेरा खेले ॥ कहहिं कबीर सुनो हो संतो? जो यह पद अर्थावे । जो यह पद को गाय विचारे । आप तरे ग्रौ तारे। शब्द ॥ २० ॥ - कोई राम रसिक रस पीयहु गे । पीयहु गे युग जीयहु गे ।। फललंकृत वीज नहिं बकला। शुक पंछी तहाँ रस खाई ॥ चूरै न बुंद अंग नहिं । भीजै । दास भँवर सब सँग लाई ॥ निगम रिसाल चारि फल लागे । तामे तीनि समाई ॥ एक दूरि । चाहें सब कोई । जतन जतन कहु विरले पाई । गै वसंत श्रीपम ऋतु आई । वहुरि न तरिखर तर प्रावै। कहैं कवीर स्वामी सुख सागर । राम मगन होय । सो पावे ॥२०॥ शब्द ॥ २१॥ ____राम न रमसि कौन डंड लागा। मरिजैये का करवे प्रभागा ।। कोई तीरथ कोई मुंडित केसा । पाखंड मंत्र भरम उपदेशा ॥ विद्या वेद पढ़ि करे ।