पृष्ठ:बीजक मूल.djvu/७३

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७४ बीजक मूल शब्द ।। २६ ॥ भाई रे नयन रसिक नो जागे ।। टेक ॥ पारब्रह्म अविगति अविनासी । केसह के: मन लागे । अमली लोग खुमारी तृष्णा । कतहुँ संतोप न पावे । काम क्रोध दोनों मतवाले ॥माया। भरि भरि यावे ॥ ब्रह्म कलाल चढाइनि भाठी ।। है ले इन्द्री रस चाहे ॥ संगहि पोच हे ज्ञान पुकारे । - चतुरा होय सो पावे।सिंकट सोच पोच यह कलिमा।। बहुतक व्याधि शरीरा ।। जहाँ धीर गंभीर प्रति निश्चल । तहाँ उठि मिलहु कवीरा ।। २६ ।। शब्द ।। ३०॥ ___भाई रे दुइ जगदीश कहाँ ते पाया । कहु । कौने वोराया ॥ अल्लाह राम करीमा केशव । हरि । हजरत नाम धराया ॥ गहना एक कनक तेगहना। या भाव न दूजा ।। कहन सुनन को दुइ करि । थाले । यक निमाज यक पूजा।वोही महादेव वोही। महम्मद । ब्रह्मा आदम कहिये ॥ को हिंदू को तुरुक