पृष्ठ:बीजक मूल.djvu/७४

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  • बीजक मूल ७५

कहावे । एक जिमीं पर रहिये । वेद कितेत्र पढ़े वै कुतवा । वै मोलना वै पाँड़े ॥ वेगर बेगर नाम घराये । एक मटिया के भाँड़े। कहहिं कबीर वे दूनों भूले । रामहिं किनहु न पाया ॥ वे खसी वै गाय कटावें । वादिहि जन्म गमाया ॥३०॥ शब्द ॥ ३१॥ हंसा संशय छुरी कुहिया । गइया पीवै वयस्दै दुहिया ॥ घर घर साउज खेले अहेरा | पारथ अोटा लेई ॥ पानी माहिं ततुफ गई भुंभुरी । धूरि हिलोरा देई ॥ धरती बरसे वादर भीजे । भीट भये पौराऊ॥ हंस उड़ाने ताल सुखाने । चहले विधा पाऊ।।जौलों कर डोले पगु चाले । तौलों श्रास न कीजै ॥कहहिं कवीरजेहि चलत न दीसे। तासु वचन का लीजे ३१ • शब्द ।। ३२ ॥ ____ हंसा हो चितै चेतु सकेरा । इन्ह परपंच कैल बहुतरा ॥ पाखंड रूप रचो इन्ह तिरगुन । तेहि । पाखंड भुलल संसारा॥घरके खसम बधिक वै राजा। krtimhrirrrrrrrrrrrrrrrrrrrrr-