पृष्ठ:बुद्ध-चरित.djvu/२५५

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पीयूष से प्रिय वचन पुलकित पियत डोलत साथ
अति भक्ति सौँ भगवान् को लै पात्र अपने हाथ।

यशोधरा के खुले नयन नव ज्योतिहि पाई,
सूखे आँसू आनन पै मृदु आभा छाई।
या विधि वा शुभ रैन राजकुल बोलि बुद्ध जय
शान्ति मार्ग में चलि प्रवेश कीनो मंगलमय।


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