पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/११०

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२०७ बौद्धों के धर्म-साम्राज्य का विस्तार , से मिलते-जुलते हैं और सब वहाँ होते हैं । उसने यह भी बत- लाया है कि वहाँ ताँबा मिलता है, पर लोहा नहीं। तथा सोने-चाँदी का व्यवहार नहीं होता । वहाँ के निवासियों के आचार-विचार, जाति, धर्म, सेना, हथियार आदि के विषय में जो उसने लिखा है, वह सब अमेरिका के मूल निवासियों तथा मेक्सिको की सीमा पर रहनेवाले लोगों से मिलता-जुलता है। मेक्सिको के लोगों में एक दन्तकथा ऐसी प्रचलित है--एक श्वेतश्याम परदेशी वहाँ गया था। वह उपदेश देता था "पाप से बचो, न्याय का पालन करो।" उसका यह उपदेश वहाँ के लोगों को अच्छा नहीं लगा और वह लोग उस उपदेशक को मारने दौड़े। इस पर वह वेचारा प्राण बचाकर भाग गया । कहाँ भागा, इसका कोई पता नहीं ; पर उसके पैरों के चिन्ह एक पहाड़ पर दिखाई दिये । उसकी स्मृति में उसकी एक पाषाण- मूर्ति म्यागडालिना नामक एक ग्राम में स्थापित की गई, उसका नाम जई-सी-पेको-का था । दूसरा एक और परदेशी भिक्षु अपने कुछ साथियों के साथ पैसिफिक महासागर के किनारे पर आकर उतरा था । यही उपयुक्त पाँच बौद्ध भिक्षु होंगे। इन्होंने जिन बातों का उपदेश दिया था, वह बौद्ध-धर्म से मिलती-जुलती थीं। स्पेनिश लोगों ने जिस समय अमेरिका को जीता था, उस समय के लोगों के जो रीति-रिवाज, धार्मिक विचार, संवत्सर- प्रणाली, शिल्पकला आदि जो बातें थीं, वह सब एशियाई धर्म तथा सभ्यता से मिलती-जुलती थीं।