पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/११२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१०६ बौद्धों के धर्म-साम्राज्य का विस्तार ग्रीष्म-निवास था । जहाँ वह था, वहाँ अब बेगरम नाम का नगर आवाद है । जिस नगरहार में दीपंकर बुद्ध ने अनेक चम- कार दिखाये थे, वहीं अब जलालाबाद के नाम से विख्यात है। हिद्दा वह स्थान है, जहाँ गौतम बुद्ध के भौतिक शरीर का कुछ अंश रक्खा गया था, और जिसके दर्शन को हजारों कोस सेयात्री आया करते थे। इन स्थानों में उस बौद्ध समृद्धि के अनगिनत संस्मरण विध्वंस उपस्थित हैं। ईसा की ८ वीं शताब्दि में अरबों ने अफगानिस्तान पर आक्रमण किया । सन् ८७० में, अरबों के सेनापति याक्तूब-एलैस ने सम्राट कनिष्क के वंशधर को परास्त करके मुसलमानी राज्य स्थापित किया और प्राचीन बौद्ध इमारतों को विध्वंस कर डाला। १०वीं शताब्दि में सुबूतगीन और अबुक्तगीन के आक्रमण के समय दो बड़े-बड़े गाँव जोकि काबुल से ७० मील की दूरी पर हैं, हिन्दुओंके हाथ से निकल गये । और इसके पश्चात् जब महमूद गजनवी ने काबुल के रास्ते से भारत पर आक्रमण किया तब भारतीय सभ्यता का अफगानिस्तान से बिल्कुल नाश होगया था। सिर्फ काफ़िरिस्तान इसके हमलों से बच गया, वहाँ अब भी मुसलमानों का प्रचार नहीं था। मुसलमान आक्रमणकारियों का हमेशा से यह नियम रहा है कि वह हिन्दुओं की पुरानी इमारतों, मठों और मन्दिरों को नष्ट करते आये हैं । इसलिये आज दिन जो भी खण्डहर बच रहे हैं, उन्हें भी ईश्वरीय नियम समझना चाहिए ।