पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/१३१

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बुद्ध और बौद्ध-धर्म १२८ भेंट का वर्णन है। रावण बुद्ध से धर्म-सम्बन्धी अनेक प्रश्न करता है और बुद्ध उनका उत्तर देता है । वह उत्तर बौद्ध-धर्म की योगाचार-शाखा के सिद्धान्तों से मिलते हुए हैं। इसमें साँख्य, वैशेपिक, पाशुपत आदि मतों का विवेचन किया गया है। इसमें एक भविष्यवाणी की गई है कि बुद्ध की मृत्यु के १०० वर्ष पश्चात् व्यास उत्पन्न होंगे और वह महाभारत की रचना करेंगे । तत्प: श्चात् पाण्डव, कौरव, नन्द, मौर्य, गुप्त और म्लेच्छ-वंश के राजा उत्पन्न होंगे। माध्यमिक शाखा में सबसे प्रबल आचार्य नागार्जुन हुए हैं। यह ई० सन् की दूसरी या तीसरी शताब्दि में दक्षिण भारत में हुए हैं। उन्होंने माध्यमिक-कारिका. धर्म-संग्रह आदि ग्रन्थ लिखे हैं। इस विद्वान् ने संस्कृत-साहित्य के प्रमुख ग्रन्थों का बौद्ध धर्म के ग्रन्थों में समावेश किया है। हीनयान सम्प्रदाय पाली भाषा का अति प्राचीन माननीय सिद्धांत है । जिसमें हम बता चुके हैं कि त्रिपिटक का संग्रह बहुत महत्वपूर्ण है । यह त्रिपिटक कोई एक पुस्तक का नाम नहीं, किंतु बहुत-सी पुस्तकों का संग्रह है। जैन-धर्म में जो आदर आगम शास्त्रों का है और हिन्दुओं में जो वेदों का है, बौद्धों में भी वही श्रादर त्रिपिटक का है । कुल त्रिपिटक के ग्रंथ महाभारत के तिगुने आकार के होंगे। इन सब ग्रंथों का संग्रह कब हुआ, कैसे किसने किया, यह सब बताना कठिन है। कहते हैं, इनकी रचना पाटलीपुत्र में हुई । और इसके बाद जब महाराज अशोक का हुआ और