पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/३०२

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३१५ बौद्ध-धर्म का प्रस्त गया। ये राजा हिन्दू-धर्म के अनुयायी ये और ब्राह्मणों की राय से सब काम करते थे। इन्होंने दो बड़े भारी यज्ञ भी किये,इससे बौद्धों को बड़ा नुकसान पहुँचा, परन्तु इन राजाओं का बोद्ध-धर्म के प्रति ऐसा कठिन व्यवहार नहीं था। जब फाहियान यहाँ आया तो यहाँ सैकड़ों संघाराम और स्तूप थे, जहाँ हजारों बौद्ध-भिन्नु रहते थे। फाहियान के समय गान्धार देश में जो हीनयान-सम्प्रदाय था, बड़ी गिरी अवस्था में था। इसके बाद ७वीं शताब्दि के मुसलमानी आक्रमण ने भी बौद्ध-धर्म को नष्ट-भ्रष्ट कर दिया । अम इस बात पर प्रकाश डालना है कि बौद्ध-धर्म का सर्वनाश. कैसे हुआ? बुद्ध ने अपने उपदेश सर्वसाधारण की भाषा में बनाये थे। अशोक ने भी अपने शिलालेख सर्वसाधारण भाषा में लिखाये थे। लेकिन महायान-सम्प्रदाय के सभी ग्रन्थ संस्कृत भाषा में लिखे गये थे और अपने शिलालेख भी संस्कृत भाषा में ही लिखाये। गुप्त वंश के राजाओं के भी शिलालेख संस्कृत भाषा में ही मिलते हैं। इस संस्कृत भाषा ने ही बौद्ध-धर्म का नाश किया है। अाज जितने भी शिलालेख बुद्ध के समय से लेकर कनिष्क के समय तक के मिलते हैं। उनमें ब्राह्मणों के यज्ञ और देवी-देवताओं का उल्लेख मिलता है। लेकिन पाँचीं शताब्दि के जो शिलालेख मिलते हैं, उनमें इनका कोई वर्णन नहीं है। बौद्धधर्म हिन्दू-धर्म में मिल गया। वर्तमान पौराणिक धर्म ही बौद्ध-धर्म का बिगड़ा हुआ स्वरूप है, जिसे वैष्णव धर्म कहते हैं। समाप्त