पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/९४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

बौद्धों के धर्म-साम्राज्य का विस्तार भारत में बौद्ध-युग भी एक अमर युग था। ईसचीसदी के ६०० वर्ष पूर्व, जब समस्त भारत में, धार्मिक आडम्बर और धार्मिक पाप अपनी सम्पूर्ण कलाओं पर था; जिस समय धर्म के नाम पर असंख्य मूफ-पशुओं के रक्त से, कर्म-काण्डी ब्राह्मणों के हाथ लाल रहते थे; जिस समय कि भारत के एक सिरे से दूसरे सिरे तक अभागे पशुओं की हाय भर रही थी, उस समय बुद्ध भारत में अवतीर्ण हुए ! शोक-सन्ताप से भरी पृथ्वी पर सबसे प्रथम उन्होंने दया और शान्ति की आवाज उठाई, दुःख और उसके कारणोंका निरूपण किया,और उत्कट त्याग और सन्यासके मार्गों का उद्घाटन किया। मनुध्य-चरित्रों में विशुद्धता, परोपकार बत्त, निर्लोभ भाव, मुक्ति-भावना प्राप्त हुई। अग्नि की भांति यह धर्म समस्त भारत में फैल गया । असंख्य राजा और साहूकार इस धर्म के झण्डे के नीचे आये। उन्होंने हजारों विहार बनवाये । इन विहारों में हजारों छात्र और अध्यापक आजीवन अविवाहित रह- फर, स्वार्थपरता छोड़कर, विहार बनानेवालों के व्यय से जीविका चलाकर, दिन-रात ज्ञान तथा धर्म के अनुशीलन में मग्न रहते थे।