पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/९६

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६३ बौद्धों के धर्म-साम्राज्य का विस्तार जावा, सुमात्रा और घारमोसा द्वीप-पुञ्ज और दक्षिण में लका तक जाते थे। वहाँ जन्म-भर रहते और ज्ञान तथा धर्म का प्रचार करते थे। ईसा की चौथी शताब्दि में-फाहियान ने भारत आते समय साइवेरिया के दक्षिणी तातार में, कास्पियन समुद्र के पश्चिम यूरोप खण्ड में, अफगानिस्तान में बौद्ध-धर्म का बड़ा भारी जोर देखा था । यूरोप के उत्तर-प्रान्त और लैपलैंड में आज तक बौद्ध- धर्म प्रचलित है। एक बार समस्त मानव-जाति की एक-तिहाई इस धर्म को स्वीकार कर चुकी थी। मसीह के जन्म से पहले भारत के सम्राट अशोक ने पैलेस्टाइन में बौद्ध-धर्म-प्रचारकों को भेजा था । मसीह के समय में भी, बौद्ध-साधु वहाँ उपस्थित थे । मसीह के उपदेश और जीवन पर चौद्ध-धर्म की इतनी गहरी छाप पड़ने का कारण ही यह था। बाइबिल में, चौद्ध-सिद्धान्तों का मिलना, रोमन कैथोलिक लोगों का पाजक सम्प्रदाय धर्मानुष्ठान, रीति-नीति सभी बौद्ध-धर्म का अनुकरणमात्र है । जर्मन पण्डित शोपनधर ने यह बात स्वीकार की है। एक रूसी ग्रंथकार को तिब्बत एक ग्रंथ मिला था। उससे पता लगा कि मसीह ने स्वयं भारत और तिब्बत में रहकर चौद्ध-धर्म का अनुशीलन किया था । इसी प्रकार मुहम्मद का धर्म- मन्दिर में उपासना करना, पाँच बार उपासना करना और उपा- सना से प्रथम उच्च स्वर से लोगों को आवाहन करना ये सब बौद्धों की छाया है। सम्राट अशोक ने नालन्द का विहार निर्माण कराया था । वहाँ