पृष्ठ:बौद्ध धर्म-दर्शन.pdf/१२०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१२ बौद्ध-धर्म-संग चौथे अंगुत्तरनिकाय में २३०८ सुत्त है और उनमें एक वस्तु से लेकर ग्यारह वस्तुनों का समावेश क्रमशः किया गया है। प्रथम निपात में एक क्या क्या है वह सब गिनाया गया है और इसी प्रकार ग्यारहवें निपात में ग्यारह ग्यारह वस्तुत्रों का संग्रह किया गया है। इसमें विषय वैविध्य होना स्वाभाविक है। खुदकनिकाय में शुद्र अर्थात् छोटे-छोटे उपदेशों का संग्रह है। इस निकाय में- निम्न अन्यों का समावेश है। (१) खुदकपाठ--इसमें बौद्धधर्म में प्रवेश पाने वाले के लिए जो सर्वप्रथम जानना श्राव- श्यक होता है उसका संग्रह है । जैसे–त्रिशरण, दश शिक्षापद, उर शरीर के अवयवों का संग्रह, एक से दश तक की शेय वस्तुओं का संग्रह आदि । (२) धम्मपद-बौद्ध-ग्रन्थों में सर्वाधिक प्रसिद्ध यह ग्रन्थ है। इसमें नैतिक उपदेशों का सग्रह है। (१) उदान-धम्मपद में एक विश्य की निरूपक अनेक गाथाओं का संग्रह वगों में किया गया है बब कि उदान में एक ही विषय का निरूपण करनेवाली अल्पसंख्यक गाथाओं का संग्रह है । प्रासंगिक दो चार गाथाओं में अपने मन्तव्य को बुद्ध ने यहाँ व्यक्त किया है । (४) इतिवृत्तक-भगवान् ने ऐसा कहा इस मन्तव्य से जिन गाथाओं और गद्यांशों का संग्रह किया गया वह इतिवृत्तक-ग्रन्थ है । इम ग्रन्थ में उपमा का सौन्दर्य और कथन की सरलता द्रष्टव्य है। (५) सुत्तनिपात-भगवान् बुद्ध के प्राचीनतम उपदेशों का संग्रह है। (६-७) विमानवत्थु और पेतवन्धु–ये दो अन्य क्रमशः देवयोनि और प्रेतयोनि का वर्णन करते हैं। (-१) थेरगाथा और थेरीगाथा इन दो ग्रन्थों में बौद्ध भिक्षु और भिक्षुणियों ने अपने अपने अनुभवों को काव्य में व्यक्त किया है । लोक-कविता के ये दोनों ग्रन्थ सुन्दर नमूने हैं । (१०) जातक-भगवान बुद्ध के पूर्व जन्म के सदाचारों को व्यक्त करनेवाली ५४७ कथानों का संग्रह बातक अन्य में है। भारतवर्ष का प्राचीन इतिहास इन कथाओं में सुरक्षित है। अतएव इस दृष्टि से इसका महत्व हमारे लिए अत्यधिक है । नीतिशिक्षण की दृष्टि से इन कथाओं की बराबरी करनेवाला ग्रन्थ अन्यत्र दुर्लभ है । (११) निदेश—यह ग्रन्थ सुत्तनिपात के अट्ठकवग्ग और खभाविताण-सुत्त की व्याख्या है (१२) पटिसभिदाममा--में प्राणायाम, ध्यान, कर्म, आर्यसत्य, मैत्री आदि विषयों का निरूपण है। (१३) अवदान-जातक में भगवान् बुद्ध के पूर्व भवों के सुचरितों का वर्णन है तो अव- दान में अर्हतों के पूर्वभवों के सुचरितों का वर्णन है । (१४) बुद्धवंश-इसमें गौतम-बुद्ध से पहले होनेवाले अन्य २४ बुद्धों के जीवन-चरित वर्णित है।