पृष्ठ:बौद्ध धर्म-दर्शन.pdf/१२६

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३८ बर-बर्म-दर्शन विदिशा तथा उज्जयिनी के मार्ग से दक्षिणापथ को गया । महीशासक महिष-मण्डल के थे। वत्सपुत्र या वासीपुत्रीय कौशाम्बी के थे। कौशाम्बी वत्सों की राजधानी थी। स्थविर और महीशासक लंका में प्रतिष्ठित हुए. और अन्त में धर्मगुप्तक चीन में फैल गये । विनय के नियमों को लेकर संभ-भेद हुआ था। इससे ज्ञात होता है कि इसी तरह विवाद प्रारंभ हुश्रा और निकाय बने । अभिधर्म के प्रश्नों को लेकर विवाद पहले पहल तृतीय संगीति (अशोक के समय) में ही हुश्रा । अशोक के समय में, कहा जाता है, 'कथावत्यु की रचना हुई । इस ग्रन्थ में सब निकायों के भेद दिये हैं।